सरकार की हरी झंडी से उन्नत 17.5-टन एकल-इंजन विमान विकसित करने का रास्ता हुआ साफ
– वायु सेना में मिराज 2000, जगुआर और मिग-29 लड़ाकू विमानों की जगह लेगा एलसीए मार्क-2
नई दिल्ली, 01 सितम्बर (हि.स.)। दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू विमानों में शुमार लाइट कांबैट एयरक्राफ्ट मार्क-2 (एलसीए) के अगले साल 2023 के अंत में पहली उड़ान भरने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार ने एलसीए एमके-2 लड़ाकू विमान विकास परियोजना को मंजूरी दे दी है। सरकार की इस मंजूरी से उन्नत 17.5-टन एकल-इंजन विमान विकसित करने का मार्ग प्रशस्त होगा। नए विमानों का विकास 2027 तक पूरा होगा। इसके बाद तेजस डिफेंसिव एयरक्राफ्ट का तमगा खोकर अटैक करने वाले लड़ाकू विमानों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने स्वदेशी लड़ाकू विमान विकसित करने के लिए की जा रही पहलों को बढ़ावा देने के लिए एलसीए मार्क-2 लड़ाकू विमान के प्रोटोटाइप विकास को मंजूरी दे दी, जो वायु सेना में मिराज 2000, जगुआर और मिग-29 लड़ाकू विमानों की जगह लेगा। एलसीए मार्क-2 का प्रोटोटाइप वर्जन अगले साल 2023 के अंत में पहली उड़ान भरेगा। व्यापक उड़ान परीक्षणों के बाद यह परियोजना वर्ष 2027 तक पूरी होगी। सरकार ने यह भी मंजूरी दे दी है कि विमान में इस्तेमाल होने वाले इंजन प्रारंभिक विकास चरण के बाद ‘मेड इन इंडिया’ होने चाहिए।
वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) के प्रमुख गिरीश देवधर के मुताबिक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) विमान को जीई-414 इंजन के साथ विकसित करेगा जो जीई-404 का उन्नत संस्करण है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को ऑर्डर किये गए 83 एलसीए मार्क-1 में जीई-404 इंजन लगाया गया है। ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियां कर रही वायुसेना को एचएएल स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके-1ए की आपूर्ति 2023 से शुरू करेगा और 2027 तक सभी विमान वायुसेना को मिल जाएंगे। इसी तरह 40 तेजस एमके-1 विमानों की भी आपूर्ति 2023 के मध्य तक पूरी की जाएगी।
एचएएल के मुताबिक तेजस मार्क-2 की गति मैक 2 यानी 3457 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इसकी मारक रेंज 2500 किलोमीटर होगी। यह 56 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है। इसमें 23 मिलीमीटर की जीएसएच-23 गन होगी। साथ ही इसमें हवा से हवा में मार करने वाली सात मिसाइलें, हवा से जमीन पर मार करने वाली चार मिसाइलें, एक एंटी रेडिएशन मिसाइल, पांच बम लगाए जा सकते हैं। तेजस मार्क-2 में ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल भी लगाई जा सकती है। इसके अलावा निर्भय, स्टॉर्म शैडो, अस्त्र, मीटियोर, असराम और क्रिस्टल मेज जैसी मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं।
तेजस फाइटर के जनक चीफ डिजाइनर डॉ. कोटा हरिनारायण ने बताया कि इस विमान में प्रीसिशन गाइडेड बम, लेजर गाइडेड बम, क्लस्टर बम, अनगाइडेड बम और स्वार्म बम लगाए जा सकते हैं। तेजस का दूसरा पार्ट दोगुनी शक्ति के साथ दुश्मनों के छक्के छुड़ाएगा। नई पीढ़ी के एयरक्राफ्ट में मिसाइलों को लगाने की क्षमता दोगुना तक बढ़ाई गई है। पहले 4 टन युद्धक सामग्री ही ले जा सकते थे लेकिन अब 7 टन तक क्षमता बढ़ा दी गई है। नए तेजस में 9 के बजाए 11 हार्ड प्वाइंट्स लगाए गए हैं। इसके विंग तेजस की तुलना में 30 सेंटीमीटर बड़े हैं। विंग्स के आगे दोनों ओर कनॉट दिए गए हैं, जिससे दुश्मन के अटैक से बचाएगा।
उन्होंने बताया कि इसमें मिसाइल अप्रोच वार्निंग सिस्टम लगाया गया है। इसलिए पीछे से मिसाइल अटैक होने पर विमान बैक साइड में इतना घना धुआं छोड़ देगा कि दुश्मन की मिसाइल कंफ्यूज होकर निशाने से चूक जाएगी। तेजस मार्क-2 के कॉकपिट में वाइस कमांड भी दिया गया है, ताकि पायलट को बटन पुश करने का समय न होने पर वह आवाज देकर ही मिसाइल अटैक कर सकता है। इस तरह के अटैक में राफेल फाइटर प्लेन से ज्यादा प्रभावी होगा। सबसे बड़ी बात ये है कि तेजस का नया वर्जन मार्क-2 वायु सेना में मिग-29, जगुआर और मिराज फाइटर प्लेन की जगह लेगा।