नई दिल्ली,2 अगस्त :राज्यसभा में आज देश में आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर चर्चा हुई। चर्चा की शुरुआत करते हुए, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के के एलामारम करीम ने महंगाई और जीएसटी वृद्धि के लिए सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों के दौरान चावल, गेहूं और खाद्य तेल सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे आम आदमी पर इसका बडा असर पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियां अमीरों और कम्पनी मालिकों के पक्ष में हैं।
कांग्रेस सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि पिछले एक साल के दौरान महंगाई की दर लगभग दोगुनी हो गई है। उन्होंने देश में बढ़ती बेरोजगारी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने लोगों को राहत देने के बजाय आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी बढ़ाया है। टीएमसी के डेरेक ओ’ब्रायन ने जीएसटी वृद्धि, रुपये के मूल्य में गिरावट और बढ़ती बेरोजगारी पर भी सरकार से सवाल किया। उन्होंने कहा कि देश के 29 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं।*
द्रमुक के तिरुचि शिवा ने कहा कि देश ने ऐसा संकटपूर्ण समय कभी नहीं देखा जैसा मौजूदा सरकार के शासन में देखा गया। उन्होंने बढ़ती बेरोजगारी, नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव और जीएसटी वृद्धि पर सरकार से सवाल किया। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियां कम्पनी मालिकों के पक्ष में हैं। श्री सिंह ने गुजरात में जहरीली शराब कांड और केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग का मुद्दा भी उठाया।
दूसरी ओर, चर्चा में भाग लेते हुए, भारतीय जनता पार्टी के प्रकाश जावड़ेकर ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए कई उपायों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी तथा रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण आपूर्ति में व्यवधान पैदा हुआ जिसके परिणामस्वरूप दुनियाभर में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया है और गरीब महिलाओं को नौ करोड़ से अधिक उज्ज्वला कनेक्शन दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त उर्वरक सब्सिडी प्रदान की गई।
उन्होंने आम आदमी को राहत देने के लिए केंद्र और भाजपा शासित राज्यों द्वारा किए गए पेट्रोलियम उत्पादों पर करों को कम नहीं करने के लिए विपक्षी शासित राज्यों पर निशाना साधा। उन्होंने विपक्ष पर जीएसटी वृद्धि के मुद्दे पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया क्योंकि उन्होंने जीएसटी परिषद में सर्वसम्मति से निर्णय लिया था जबकि अब वे इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली यूपीए सरकार के दौरान खाद्य महंगाई दहाई अंक में थी, जबकि नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने शासनकाल में इसे 5 से 7 प्रतिशत के दायरे में रखा है।
वाईएसआरसीपी के वी० विजयसाई रेड्डी ने कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए कदम उठाना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने सरकार से पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना जैसी छोटी बचत योजना पर ब्याज दर बढ़ाने की भी मांग की।
बीजू जनता दल के सुजीत कुमार ने कहा कि कीमतों में वृद्धि और महंगाई का असर मध्यम वर्ग और गरीबों पर सबसे ज्यादा पड़ता है। उन्होंने जीएसटी वृद्धि का मुद्दा उठाया और सरकार से आम आदमी पर लगाए गए कर के बोझ को वापस लेने का आग्रह किया।
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने आम आदमी से संबंधित वस्तुओं पर जीएसटी दरों में बढ़ोतरी का मुद्दा उठाया और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की।
झारखंड मुक्ति मौर्चा की महुआ माजी ने महंगाई का मुद्दा उठाते हुए कहा कि खाने-पीने की चीजों पर ऊंची दरों का असर आम आदमी पर पड़ेगा।
असम गण परिषद के बीरेंद्र प्रसाद वैश्य ने सरकार से आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी वृद्धि पर पुनर्विचार करने और वापस लेने की मांग की।