नई दिल्ली, 31 जुलाई : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की है कि आजादी के अमृत महोत्सव ने जन आंदोलन का रूप ले लिया है। आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में श्री मोदी ने कहा कि इस महोत्सव से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों में जीवन और समाज के हर क्षेत्र से जुड़े लोग भागीदारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मन की बात की यह 91वीं कड़ी अत्यधिक विशेष है क्योंकि भारत शीघ्र ही अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रोता सौभाग्यशाली है कि वे स्वतंत्र भारत में पैदा हुए हैं। यह सोचने वाली बात है कि यदि हम गुलामी के दौर में पैदा होते तो इस दिन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। यह सोचने वाली बात है कि उस दौर के लोगों के लिए गुलामी से मुक्ति की वो तड़प, पराधीनता की बेड़ियों से आजादी की वो बेचैनी कितनी बड़ी रही होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि लाखों देशवासियों ने स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी और बलिदान दिया।
आज शहीद उधम सिंह की पुण्यतिथि भी है। प्रधानमंत्री ने शहीद उधम सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने अपना सर्वस्व देश के लिए न्यौछावर कर दिया था। प्रधानमंत्री ने इस महीने के शुरू में मेघालय में अमृत महोत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रम का जिक्र किया, जहां लोगों ने मेघालय के बहादुर योद्धा यू टिरोत सिंह की पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया। टिरोत सिंह ने खासी हिल्स पर नियंत्रण करने और वहां की संस्कृति पर प्रहार करने के अंग्रेजों के षड्यंत्र का पुरजोर विरोध किया था। मेघालय में आयोजित कार्यक्रम में राज्य की संस्कृति को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया। श्री मोदी ने कर्नाटक में अनूठे अभियान अमृता भारती कन्नड़ार्थी का भी जिक्र किया। इस अभियान के तहत राज्य के 75 स्थानों पर आजादी का अमृत महोत्सव से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए गए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महीने अत्यधिक दिलचस्प प्रयास किया गया है, जिसका नाम है – आजादी की रेलगाड़ी और रेलवे स्टेशन। इस प्रयास का उद्देश्य लोगों को स्वतंत्रता संघर्ष में भारतीय रेलवे की भूमिका की जानकारी देना है। श्री मोदी ने कहा कि झारखंड में गोमो जंक्शन को अब आधिकारिक रूप से नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जंक्शन गोमो के नाम से जाना जाता है। यह वही स्टेशन है जहां कालका मेल में सवार होकर नेता सुभाष चन्द्र बोस ब्रिटिश अधिकारियों को चकमा देने में सफल रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि लखनऊ के पास काकोरी रेलवे स्टेशन का नाम रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां जैसे जांबाजों से से जुड़ा है। तमिलनाडु के तुतुकुडी जिले में वांची मणियांची जंक्शन का नाम स्वाधीनता सेनानी वांची नाथम के नाम पर रखा गया है। वांची ने 25 वर्ष की उम्र में अंग्रेज कलेक्टर को उसके कुकृत्य की सजा दी थी।
देश के 24 राज्यों में इस तरह के 75 रेलवे स्टेशनों की पहचान की गई है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आसपास के ऐसे ऐतिहासिक स्टेशन को देखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आसपास के स्कूलों के विद्यार्थियों को शिक्षकों को इन स्टेशनों को देखना चाहिए और वहां के घटनाक्रम की जानकारी बच्चों को देनी चाहिए।