बाड़मेर, 29 जुलाई (हि.स.)। भारतीय वायुसेना का मिग 21 बाइसन ट्रेनर विमान गुरुवार रात बाड़मेर में क्रैश हो गया। राजस्थान के बाड़मेर जिले के भीमड़ा गांव के पास हुए इस हादसे में दोनों पायलटों की मौत हो गई। इस विमान ने उत्तरलाई वायुसेना बेस से उड़ान भरी थी। रात करीब 9.10 बजे हुई दुर्घटना में क्रैश के बाद विमान में आग लग गई। इस कारण पायलट इससे बचने में नाकाम रहे। यह एक प्रशिक्षण उड़ान थी। घटना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
भारतीय वायुसेना ने इसे 1963 में शामिल अपने बेड़े में शामिल किया था। इसकी कीमत करीब 177 करोड़ रुपये थी। उस समय रूस से 874 सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 खरीदा गया था। 1967 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इस लड़ाकू विमान का प्रोडक्शन शुरू कर दिया लेकिन 1985 में इसका निर्माण बंद कर दिया। वायुसेना में शामिल होने के बाद से मिग-21 को दर्जनों बार अपग्रेड किया जा चुका है। इसके बाद भी इसके इंजन में सुधार नहीं किया जा सका। 2014 में तत्कालीन भारतीय वायुसेना प्रमुख अरूप राहा ने इस लड़ाकू विमान को लेकर यहां तक कहा था कि पुराने विमानों को हटाने में जितनी देरी होगी, सुरक्षा की दृष्टि से खतरा उतना ही बढ़ता जाएगा।
मिग 21 दुनिया का एकलौता विमान है, जिसका इस्तेमाल करीब 60 देशों ने किया। छह दशक से भी ज्यादा समय से लड़ाकू विमान मिग-21 भारत की सेवा कर रहा है। सबसे ज्यादा हादसे इसी विमान से हुए हैं और यही कारण है कि भारतीय वायुसेना के इस विमान को उड़ता ताबूत कहा जाता है। हालांकि इसे उड़ाने वाले पायलट आज भी इसे एक बेहतर लड़ाकू विमान मानते हैं। भले ही मिग-21 सर्वाधिक दुर्घटनाग्रस्त हुआ हो लेकिन इसने भारत के हर युद्ध में साथ दिया। हाल ही में बालाकोट हमले में भी इसका प्रयोग किया गया। इससे पहले इसने 1971 और 1999 में पाकिस्तान के साथ हुई जंग में दुश्मन को बर्बाद किया था। बालाकोट हमले में पाकिस्तान का अमेरिकी जेट एफ 16 मार गिराने वाले लडाकू पायलट अभिनंदन ने इसी मिग 21 बायसन का उपयोग था।
बाड़मेर जिले में गुजरे नौ साल में यह आठवां मिग क्रैश हुआ है। उतरलाई बेस स्टेशन से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इससे पहले 12 फरवरी, 2013 को उत्तरलाई से महज सात किलोमीटर दूर अनाणियों की ढाणी कुड़ला के पास मिग-21 क्रैश हुआ। इसमें पायलट सुरक्षित रहा। इसके बाद 7 जून, 2013 को उत्तरलाई से 40 किमी दूर सोडियार, 15 जुलाई, 2013 को उत्तरलाई से चार किलोमीटर दूर बांदरा, 27 जनवरी, 2015 को बाड़मेर के शिवकर रोड पर, 10 सितंबर, 2016 को मालियों की ढाणी बाड़मेर, 15 मार्च, 2017 को शिवकर के पास सुखोई- 30 क्रैश हुआ। इसके अलावा 25 अगस्त, 2021 को मातासर भुरटिया तथा 28 जुलाई, 2022 को भीमड़ा गांव में मिग-21 बाइसन क्रैश हुआ। इस हादसे में दोनों पायलट शहीद हो गए।
रूस और चीन के बाद भारत मिग-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। 1964 में इस विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के तौर पर एयरफोर्स में शामिल किया गया था। शुरुआती जेट रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेंबल करने के अधिकार और तकनीक भी हासिल कर ली थी। तब से अब तक मिग-21 ने 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध समेत कई मौकों पर अहम भूमिका निभाई है। रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल करता रहा। मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान की स्पीड 2229 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसकी रेंज 644 किलोमीटर के आस-पास थी। हालांकि, भारत का बाइसन अपग्रेडेड वर्जन लगभग 1000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। इसकी लंबाई 15.76 मीटर है। बिना हथियारों के इसका वजन 5,200 किलो है, जबकि हथियारों से लैस होने पर वजन करीब 8,000 किलो है।