जिहादी हिंसा के विरुद्ध किसी उग्र प्रतिक्रिया की जिम्मेदारी हिंदू समाज की नहीं होगी: मिलिंद परांडे

नई दिल्ली, 28 जुलाई (हि.स.)। कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में प्रवीण नेत्तारू की हत्या समेत हाल ही में हुए जिहादी हिंसा के सभी मामले फास्ट ट्रैक अदालतों में चलाए जाने चाहिए, ताकि पीड़ित परिवारों और हिंदू समुदाय को न्याय शीघ्र सुनिश्चित हो सके। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने गुरुवार को बयान जारी कर यह मांग की है।

परांडे ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को फास्ट ट्रैक न्यायालय बनाने पर तुरंत विचार करना चाहिए। उनके अनुसार कि जिहादी मानसिकता यदि ऐसी हिंसा करती रहेगी, तो हिंदू समाज में प्रत्यक्ष आक्रोश बढ़ेगा और स्वाभाविक तौर पर उग्र प्रतिक्रिया भी होगी। यदि ऐसा हुआ, तो इसकी जिम्मेदारी हिंदू समाज की नहीं होगी।

उन्होंने दोहराया कि विश्व हिंदू परिषद और उसकी युवा शाखा बजरंग दल ने प्रांतीय स्तर पर हैल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। यदि किसी को हिंसा की धमकी मिलती है, तो पुलिस से शिकायत करने के साथ ही कानूनी और सभी आवश्यक सहायता के लिए उन नंबरों पर तत्काल संपर्क करें। विहिप हिंदू समुदाय के साथ सदैव खड़ा रहेगा।

आगे परांडे ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को अब तय करना होगा कि उसे कौन सा नेतृत्व स्वीकार है, मदनी और औवैसी का या फिर कलाम और अश्फाक उल्ला का। मुस्लिम समुदाय को अतिवादियों व आतंकी मानसिकता को कौम से बाहर का रास्ता दिखाना होगा अन्यथा उनकी कथनी व करनी का अंतर बना ही रहेगा। जमाते इस्लामी जैसे संगठन दोहरा मानदंड अपनाते हैं। एक ओर वह सिर तन से जुदा करने व बम विस्फोट करने वालों के समर्थन में खड़ा होता है तो वहीं वह कावड़ियों को जलपान कराने का नाटक भी करता है।

परांडे ने यह भी कहा कि जिहादी हिंसा को बढ़ावा देने वाली, उकसाने और भड़काने वाली सामग्री का प्रचार-प्रसार इंटरनेट के माध्यम से किया जा रहा है। ऐसी सारी सामग्री इंटरनेट पर प्रसारित किए जाने पर संपूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

अत में परांडे ने कहा कि नेपाल से दिल्ली तक टैरर कॉरीडोर बनाने का षड्यंत्र सामने आ चुका है। ऐसे में उसे ध्वस्त करने के लिए केंद्र सरकार को हरसंभव प्रयास करने चाहिए।

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