Delhi:दिल्ली सरकार से तनातनी के बीच एलजी के बीते दो माह

नई दिल्ली, 25 जुलाई (हि.स.)। राजधानी दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना को दिल्ली का उपराज्यपाल बने मंगलवार, 26 जुलाई को दो माह हो जाएंगे। इस दो माह की अवधि में दिल्ली सरकार और एलजी के बीच लगातार टकराव की स्थिति बनी रही है। सक्सेना के पद संभालने के बाद से ही उनके और दिल्ली सरकार के बीच तनाव की शुरुआत हो गई।

इसमें सबसे पहला मामला बिना सरकार को सूचित किए अधिकारियों की मीटिंग बुलाने का है। हालांकि एलजी और दिल्ली सरकार के बीच टकराव की स्थिति कोई नई बात नहीं है। इससे पूर्व में भी उपराज्यपालों के साथ भी दिल्ली सरकार से टकराव की स्थिति देखने को मिली थी। वह चाहे नजीब जंग हो या फिर अनिल बैजल या अब विनय कुमार सक्सेना।

जल बोर्ड की बैठक बनी पहली वजह

विनय कुमार सक्सेना ने एलजी का पद एवं गोपनीयता की शपथ 26 मई को राज निवास में ली। शपथ लेने के बाद ही उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वह राज निवास में नहीं बल्कि सड़क पर जनता के बीच में रहकर काम करेंगे। कुछ दिन बाद दिल्ली सरकार और उनके बीच टकराव की स्थिति देखने को मिलने लगी।

जहां पर सबसे पहला मामला दिल्ली सरकार को बिना सूचित किए हुए जल बोर्ड के अधिकारियों की बैठक बुलाने का है। इस बैठक को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से आपत्ति जताई गई कि सरकार को बिना बताए एलजी की ओर से बैठक बुलाई गई जबकि इस बैठक को बुलाने के लिए उन्हें सरकार को सूचित करना चाहिए था।

इसके कुछ ही दिन बाद करीब 40 अधिकारियों के तबादले कर दिए। इस तबादले को लेकर भी सरकार और एलजी के बीच टकराव देखने को मिला जहां पर सरकार की ओर से आपत्ति जताई गई कि जहां पर गर्मी के दिनों में पानी जैसी बुनियादी सुविधा को मजबूत करने की जरूरत थी वहां पर दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ का तबादला कर दिया गया शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे अधिकारी का तबादला कर दिया जो कि अस्वीकार है।

सिंगापुर दौरे की फाइल भी सुर्खियों में

एलजी के द्वारा अस्पतालों के निर्माण की एसीबी की जांच सौंपने के मामले को भी नियम के विरुद्ध बताया गया। सरकार के द्वारा कहा गया कि जो तत्कालीन एलजी ने मामले को खत्म कर दिया था। वह इसे बीजेपी के इशारे पर दोबारा से जांच के लिए कह रहे हैं जो कि नियम के विरुद्ध है।

इस पर एलजी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर मनीष सिसोदिया के दावों को पूरी तरह गलत तथ्यहीन और भ्रामक बताते हुए कहा कि वह अपने मंत्रियों को सलाह दें कि ऐसे गैरजरूरी और तथ्यहीन दावे करने से दूर रहें।

इसके अलावा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सिंगापुर जाने की फाइल को करीब एक माह तक रोके रखने के बाद उन्हें सिंगापुर जाने की मंजूरी नहीं देने का भी मामला सामने आया। जहां पर उन्होंने कहा कि यह मेयर का सम्मेलन है। यहां पर एनडीएमसी या एमसीडी के लोगों को जाना चाहिए यह भी विवाद का एक नया रूप देखने को मिला।

सीबीआई जांच का मुद्दा

इसके अलावा हाल ही में दिल्ली सरकार की आबकारी नीति पर सवाल उठाते हुए एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश दे दी। चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट में कई नियमों के उल्लंघन की बात कही। इस रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई की जांच की सिफारिश की जिस पर सरकार और एलजी के बीच तल्खी और बढ़ गई हर शुक्रवार को होने वाली बैठक भी नहीं हुई।

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