ईदगाह का सर्वे कराने और कोर्ट कमिश्नर नियुक्त की मांग को लेकर किया गया था वाद दाखिल
सिविल जज अदालत के बार बार तारीख देने पर वादी ने जिला जज की अदालत में दाखिल की थी रिवीजन
मथुरा, 22 जुलाई (हि.स.)। श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में अखिल भारत हिंदू महासभा ने ईदगाह का सर्वे कराने और कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दाखिल किया था, उसके बाद सिविल जज के निर्णय के विरुद्ध जिला जज की अदालत में रिवीजन दाखिल किया गया था जिसकी शुक्रवार अपर जिला जज सप्तम संजय गौड की अदालत में सुनवाई हुई, अदालत ने निर्णय सुरक्षित रखा है।
अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने और पूरी 13.37 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग पूर्व में दायर वाद में की है।
अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने न्यायालय सिविल जज सीनियर डिविजन में एक वाद दायर किया हुआ है। वाद की सुनवाई के दौरान दिनेश कौशिक ने 13 मई को अदालत में प्रार्थना पत्र दिया कि मुस्लिमी पक्षकार ईदगाह में सनातन धर्म चिन्हों को मिटा रहे है, ईदगाह में प्राचीन कलाकृतियां हैं। उनसे छेड़छाड़ की जा सकती है। इसलिए ईदगाह का सर्वे कराने के साथ ही कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया जाए। तब सिविल जज ने इस प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के लिए एक जुलाई की तारीख तय की थी। जिस पर याचिकाकर्ता ने जिला जज की अदालत का दरवाजा खटखटाया और रिवीजन दाखिल किया था और 22 जुलाई मुकर्रर करते हुए अदालत ने सिविल जज द्वारा किया गया फार्मल आर्डर दाखिल करने को कहा था। शुक्रवार को फार्मल आर्डर दिनेश शर्मा ने एडीजे सप्तम संजय गौड़ की अदालत में दाखिल करते हुए वादी ने कहा कि ईदगाह का सर्वे कराना बहुत जरूरी है, इसलिए इस प्रार्थना पत्र पर पहले सुनवाई की जाए। वादी को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। वादी के अधिवक्ता नंदकिशोर शर्मा ने बताया कि प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के लिए अदालत कभी भी अपना फैसला सुना सकती है।
इससे पहले श्री कृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह मामले में गुरुवार को भी सुनवाई हुई थी। श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा दाखिल किए गए प्रार्थना पत्र पर सिविल जज सीनियर डिवीजन ने सुनवाई की। सिविल जज सीनियर डिवीजन ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दाखिल किए गए 7(11) के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए इस मामले में 25 जुलाई से रोजाना शाम 3 बजे से सुनवाई करने का आदेश दिया था।