कोलकाता, 17 जुलाई (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ देश के अगले उप राष्ट्रपति होंगे। हालांकि भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने उन्हें अभी इस पद का उम्मीदवार ही घोषित किया है, किन्तु लोकसभा और राज्यसभा में राजग का बहुमत होने के चलते वे आसानी से चुनाव जीत जाएंगे, इसकी पूरी संभावना है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते जगदीप धनखड़ ने देश भर का खासा ध्यान खींचा था। बंगाल जिस चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है और राज्य की मुख्यमंत्री जिस तरह से केन्द्र सरकार और राज्यपाल से लगातार टकराती रहीं हैं, उसमें जगदीप धनखड़ सरीखे संविधान और कानून के जानकार ने जैसी भूमिका निभाई, वह भी एक मिसाल है।
जगदीप धनखड़ ने सैद्धांतिक मुद्दों पर पश्चिम बंगाल सरकार से लगातार टकराव की मुद्रा में रहे। वे हमेशा राज्य सरकार को इस बात का अहसास दिलाते रहे कि संवैधानिक दायरे से कुछ गलत होगा तो राजभवन जवाब जरूर मांगेगा। ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के प्रतिनिधि ओमप्रकाश सिंह ने 16 जून, 2020 को जगदीप धनखड़ से लंबी बातचीत की थी। उसमें उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार को प्राइवेट एजेंसी चला रही है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के सांसदों और मंत्रियों के ट्विटर अकाउंट कोई और चलाता है। यह वही समय था जब वे कोलकाता में मानव शवों को जानवरों की तरह घसीटने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को माफी मांगने की सलाह दे चुके थे।
जब जगदीप धनखड़ से पूछा गया कि आपने तो राज्यपाल पद की परिभाषा बदल दी है। आप सीधे जनता के बीच जाते हैं, उनसे संवाद करते हैं? इस पर उनका कहना था- ‘मैंने पश्चिम बंगाल के लोगों के हित में काम करने की संवैधानिक शपथ ली है। इसके प्रति मैं प्रतिबद्ध हूं। मैं कठपुतली नहीं हूं। न तो ममता बनर्जी का हुक्म मानूंगा और न ही दिल्ली का। मैं अगर किसी का हुक्म मानूंगा तो वह भारत का संविधान है। भ्रष्टाचार के मामलों और राज्य प्रशासन के सत्तारूढ़ पार्टी के लिए काम करने पर चुप नहीं रह सकता। लोग मुझसे कहते हैं कि सरकार पुलिस के दम पर चल रही है। इसे मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता। राज्यपाल के तौर पर संविधान ने मुझे जो अधिकार दिए हैं, मैं कभी भी उनसे बाहर नहीं गया।’
कोविड से निपटने के तौर तरीकों पर भी जगदीप धनखड़ ने सवाल खड़े किए थे। उनका कहना था-‘ कोविड-19 से मरने वालों का अंतिम संस्कार भारत सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन के अनुसार होना चाहिए था। बंगाल तीन तरह के संकट से गुजर रहा है। चक्रवात, कोरोना वायरस व माइग्रेंट वर्कर्स। मुख्यमंत्री ने प्रवासी मजदूरों की ट्रेन को कोविड ट्रेन कह दिया था। उस पर मैंने आपत्ति जताई थी। बंगाल में विपक्षी नेताओं पर मुकदमे दर्ज होते हैं। उन्हें संकट के समय भी काम नहीं करने दिया जाता है। सरकार ने अपनी पार्टी के नेताओं को खुली छूट दे रखी है। डर के मारे पुलिस कुछ नहीं कर सकती। मैंने पुलिस को चेतावनी दी है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और ऐसा करना मेरे दायित्व का हिस्सा है।’
वह बंगाल सरकार को केंद्र का 83 हजार करोड़ रुपया बकाया होने पर मुख्यमंत्री को चेताते रहे। उन्होंने तब कहा था -‘मैंने कई बार मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि इस बारे में मुझे पत्र दीजिए। मुझसे चर्चा करिए लेकिन आज तक उन्होंने एक पत्र तक नहीं लिखा। पश्चिम बंगाल सरकार को बाहरी एजेंसी (उनका इशारा राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की संस्था की ओर था जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सलाहकार थे) चला रही है।’
राज्यपाल और सरकार के बीच की वार्ता गोपनीय होती है। इसके बावजूद जगदीप धनखड़ की कई बातें सार्वजनिक की जाती रहीं और उनकी सार्वजनिक आलोचना भी बहुत की गई। पर वे इससे अप्रभावित ही रहे। उनका इस बारे में कहना था- ‘मेरी आलोचना भाड़े के लोगों से कराई जा रही है। मेरी आलोचना वे लोग कर रहे हैं जिनका टि्वटर हैंडल किसी और के पास है। आप जगदीप धनखड़ के ट्विटर पर पक्ष में एक कमेंट लिख देंगे तो पुलिस आपके घर पहुंच जाएगी। हम लोग बहुत मुश्किल हालात में रह रहे हैं।’
बंगाल की राजनीतिक हिंसा रुकने के उपायों के सवाल पर उन्होंने कहा था-‘चुनाव के समय सौ फीसदी केंद्रीय बलों की तैनाती चुनाव आयोग का अधिकार है। मैंने चुनाव आयोग से आग्रह किया था कि बंगाल में पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराएं। कोशिश की जाए कि बंगाल में चुनाव के समय अब तक जो हिंसा होती रही, वह इतिहास का हिस्सा बने। आगे जो हो वह पश्चिम बंगाल के लिए नया इतिहास हो। बंगाल की जनता हिंसा नहीं चाहती।