कोलंबो, 16 जुलाई (हि.स.)। श्रीलंका में लगातार बढ़ रहा राजनीतिक व आर्थिक संकट आम आदमी पर बुरी तरह भारी पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ का मानना है कि श्रीलंका की 22 प्रतिशत आबादी खाद्य असुरक्षा की शिकार है। विश्व खाद्य कार्यक्रम का मानना है कि श्रीलंका में 60 लाख से अधिक लोगों के समक्ष भोजन का संकट मंडरा रहा है।
श्रीलंका में पिछले कई सप्ताह से जारी विरोध प्रदर्शनों के बाद देश छोड़कर भाग गए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा था। श्रीलंका को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की चिंता एक बार फिर सामने आई है। श्रीलंका में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थानीय समन्वयक हैना सिन्गर-हामदी ने श्रीलंका के वरिष्ठ राजनेताओं से राष्ट्रीय संविधान के अनुरूप सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि संक्रमणकाल में संसद के भीतर और बाहर समावेशी चर्चा को आगे बढ़ाया जाना आवश्यक है। श्रीलंका में 22 प्रतिशत लोग खाद्य असुरक्षा का शिकार हैं और उन्हें सहायता की ज़रूरत है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवीय राहत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक योजना पेश की है, जिसमें सर्वाधिक प्रभावित 17 लाख लोगों की मदद के लिए चार करोड़ 70 लाख डॉलर की जरूरत बताते हुए वैश्विक संस्थाओं व देशों से मदद की अपील की गयी है।
श्रीलंका में खाद्य संकट भी गहराता जा रहा है। महंगाई इतनी बढ़ गई है कि लोगों के सामने भोजन के लिए बड़ी आफत आ गई है। विश्व खाद्य कार्यक्रम ने कहा है कि देश में 60 लाख से अधिक लोगों पर खाने का संकट मंडरा रहा है। श्रीलंका गंभीर विदेशी मुद्रा संकट से भी जूझ रहा है और सरकार आवश्यक आयात के बिल को वहन करने में असमर्थ है।