जेनेवा, 16 जुलाई (हि.स.)। कोरोना महामारी न सिर्फ दुनिया भर के लिए जानलेवा संकट का दंश लेकर आई, बल्कि बच्चों के लिए दोहरी मुसीबत का सबब बन कर आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनीसेफ के मुताबिक बीते वर्ष टीकाकरण में तीस साल की सबसे बड़ी गिरावट सामने आई है और दुनिया के ढाई करोड़ बच्चों को मूलभूत रूप से जरूरी टीके नहीं लग सके हैं।
डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के अनुसार पिछले करीब 30 सालों में नवजातों के टीकाकरण में सबसे बड़ी गिरावट 2021 में आई। डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी (डीटीपी) से बचाव की तीन खुराक लेने वाले बच्चों की संख्या में 2019 में पांच फीसदी गिरावट आई थी जो 2021 में 81 फीसदी हो गई। नतीजतन 2021 में ही 2.5 करोड़ बच्चों का डीटीपी वैक्सीन का एक या उससे ज्यादा डोज छूट गया। यह गिरावट 1991 के बाद की सर्वाधिक गिरावट है। इस गिरावट के पीछे कोरोना भी एक बड़ी वजह है। कोरोना के कारण टीकों की आपूर्ति पर असर पड़ा है और स्वास्थ्य सेवाओं का पूरा ध्यान महामारी से बचाव में लगने से इस कार्य के लिए संसाधन कम हो गए।
यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने कहा कि टीकाकरण में भारी कमी बाल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक स्थिति है। हम बाल टीकाकरण में लगातार सबसे बड़ी गिरावट के गवाह हैं। कोरोना की बाधाओं और लॉकडाउन के परिणामस्वरूप बीते साल महामारी के बुरे नतीजे आने थे। वह लगातार गिरावट हम देख रहे हैं। नवजात बच्चों के टीकाकरण में सबसे ज्यादा गिरावट भारत, नाइजीरिया, इंडोनेशिया, इथियोपिया और फिलीपींस में आई है।