– दिन के कारोबार में डॉलर के मुकाबले 79.98 के स्तर तक पहुंचा रुपया
नई दिल्ली, 15 जुलाई (हि.स.)। मुद्रा बाजार में आज भारतीय मुद्रा रुपये ने गिरावट का नया रिकॉर्ड बना दिया। रुपये ने आज डॉलर के मुकाबले 79.98 रुपये तक के निचले स्तर तक पहुंचने का नया रिकॉर्ड बनाया। हालांकि बाद में मुद्रा बाजार में डॉलर का प्रवाह बढ़ जाने और विदेशी निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में खरीदारी बढ़ा देने के कारण रुपये की स्थिति में सुधार हुआ और इसने 79.91 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर आज के कारोबार का अंत किया।
इंटर बैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपये ने आज एक बार फिर ओपनिंग के वक्त ही ऑल टाइम लो का नया रिकॉर्ड बनाया। रुपये ने डॉलर के मुकाबले 6 पैसे की कमजोरी के साथ 79.94 रुपये के रिकॉर्ड लो लेवल से आज के कारोबार की शुरुआत की। कारोबार की शुरुआत होते ही मुद्रा बाजार में डॉलर की मांग तेज हो गई, जिसके कारण रुपया फिसल कर 79.98 के स्तर पर पहुंच गया। हालांकि थोड़ी देर में ही डॉलर की मांग में हल्की कमी आने के कारण रुपया कल के क्लोजिंग की तुलना में 5 पैसे और आज के लोएस्ट लेवल की तुलना में 15 पैसे की मजबूती के साथ 79.83 के स्तर पर भी पहुंचा।
दिन के दूसरे कारोबारी सत्र में एक बार फिर डॉलर की मांग तेज होने पर रुपये की कीमत नीचे की ओर गिरने लगी। रुपये की कीमत में गिरावट का ये दौर भारतीय मुद्रा के एक बार फिर 79.95 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंचने तक जारी रहा। हालांकि इसके बाद एक बार फिर डॉलर की मांग में कमी आने लगी, जिसके कारण रुपये में भी रिकवरी शुरू हो गई।
इसके अलावा दिन के दूसरे सत्र में ही भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों ने भी बिकवाली करना छोड़कर चुनिंदा शेयरों में लिवाली शुरू कर दी, जिसकी वजह से भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर की आवक भी बढ़ गई। इसकी वजह से रुपये की स्थिति में भी सुधार हुआ और भारतीय मुद्रा निचले स्तर से रिकवरी करके 79.91 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुई।
आपको बता दें कि रुपये ने कल भी डॉलर के मुकाबले गिरावट का नया रिकॉर्ड बनाया था। भारतीय मुद्रा में कल डॉलर के मुकाबले 25 पैसे की कमजोरी के साथ 79.88 रुपये के स्तर पर कारोबार का अंत किया था। साल 2022 में अभी तक रुपये की कीमत में डॉलर के मुकाबले करीब 7 प्रतिशत की कमजोरी आ चुकी है। सिर्फ जुलाई के महीने में ही डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में 1.80 रुपये की कमजोरी दर्ज की जा चुकी है। रुपये की गिरावट के कारण आयातित वस्तुओं की कीमत में लगातार बढ़ोतरी का दबाव बना हुआ है। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रुपये को सहारा देने की कोशिश में देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी दबाव की स्थिति बनती जा रही है।