सार्वजनिक पूंजी वाले कार्यक्रमों से भारत का दीर्घकालिक विकास संभव: वित्त मंत्री

नई दिल्ली, 15 जुलाई (हि.स.)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत की दीर्घकालिक विकास की संभावनाएं सार्वजनिक पूंजीगत व्यय वाले कार्यक्रमों में निहित हैं। लचीली आर्थिक प्रणालियों के लिए साक्ष्य-आधारित नीति बनाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना महामारी से प्रभावित आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाने पर जोर दिया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बात इंडोनेशिया के बाली में आयोजित जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गर्वनरों (एफएमसीबीजी) की तीसरी बैठक में कही। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट करके शुक्रवार को जानकारी दी कि बैठक के दूसरे सत्र के संबोधन में सीतारमण ने यह भी कहा कि ऐसे में यह उम्मीद की जाती है कि सार्वजनिक खर्च में वृद्धि से निजी निवेश में भी इजाफा होगा।

वित्त मंत्रालय के मुताबिक वित्त मंत्री ने कहा कि लचीली आर्थिक प्रणालियों के लिए साक्ष्य-आधारित नीति बनाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना महामारी से प्रभावित आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाने पर जोर दिया है। सतत वैश्विक वृद्धि जलवायु कार्रवाईयों पर केंद्रित होने के साथ-साथ जलवायु वित्त तथा हरित परिवर्तनों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

तीसरी जी-20 एफएमसीबीजी के दूसरे सत्र में सीतारमण ने वैश्विक महामारी की तैयारी तथा प्रतिक्रिया प्रणाली सहित ‘जी20 स्वास्थ्य एजेंडा’ पर भी अपने विचार साझा किए। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत भविष्य में आने वाली किसी भी वैश्विक महामारी के खिलाफ तैयारी और उससे बचाव के लिए सभी प्रयासों का समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है।

जी-20 बीस देशों का एक समूह है, जिसकी बैठक हर साल अलग-अलग देशों में आयोजित की जाती है। इसका गठन सितंबर 1999 में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए किया था। इसकी बैठक में सदस्य देशों के प्रमुखों के साथ वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नर शामिल होते हैं, जिसमें मुख्य रूप से आर्थिक विषयों पर चर्चा होती है।

जी-20 में विश्व के 19 देश और यूरोपियन यूनियन शामिल हैं। इन 19 देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं।

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