– मौजूदा खतरे के परिदृश्य में हवाई प्लेटफार्मों के उपयोग से इनकार नहीं किया जा सकता
– कम ऊंचाई पर उड़ रहे विमानों को मार सकता है ‘मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम’
नई दिल्ली, 15 जुलाई (हि.स.)। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा कि हमारे देश में मौजूदा खतरे के परिदृश्य को देखते हुए हमारे महत्वपूर्ण रणनीतिक और सैन्य प्रतिष्ठानों के खिलाफ राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा हवाई प्लेटफार्मों के उपयोग से इनकार नहीं किया जा सकता है। यूक्रेन में चल रहे संघर्ष ने शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में एक बार फिर मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम पर ध्यान केंद्रित किया है।
एयर चीफ मार्शल चौधरी शुक्रवार को सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज की ओर से आयोजित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। इस थिंक टैंक की स्थापना 24 अगस्त, 2007 को रक्षा मंत्रालय की पहल पर की गई थी। उन्होंने कहा कि हमारे देश में मौजूदा खतरे के परिदृश्य को देखते हुए हमारे महत्वपूर्ण रणनीतिक और सैन्य प्रतिष्ठानों के खिलाफ राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा हवाई प्लेटफार्मों के उपयोग से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस हथियार में निशाना लगाने के लिए लेजर लाइट लगी होती है। दुश्मन के विमान या तोप को देखने के लिए जूम लेंस होता है। इसे चलाने वाला लेंस के जरिए देखकर लेजर लाइट सेट करता है। उसके बाद जैसे ही निशान रेंज में आता है, उस पर स्टारस्ट्रीक मिसाइल दाग दी जाती है।
दरअसल, कुछ महीने पहले ब्रिटेन ने यूक्रेन को मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम दिए थे। इस स्टारस्ट्रीट मिसाइल को कंधे पर रखकर ही बड़े आराम से दागा जा सकता है। इससे कम ऊंचाई पर उड़ रहे विमानों को मारकर गिराया जा सकता है। तोप, बख्तरबंद वाहन या हेलीकॉप्टर को भी पलभर में मार गिराया जा सकता है। यूक्रेन की सेना ने हाल ही में इसी हथियार की मदद से रूसी हवाई हमले रोके थे। रूसी सेना के लड़ाकू विमान या हेलीकॉप्टर राडार से बचने के लिए जब काफी नीचे से उड़ते हैं, तभी यूक्रेन की सेना को मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम से उन्हें मार गिराने का मौका मिल जाता है।
भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) और यूरोपियन कंपनी एमबीडीए मिसाइल सिस्टम्स ने भारत में मिस्ट्रल एयर टू एयर मिसाइलों का निर्माण करने के लिए पेरिस में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह फ्रांसीसी इन्फ्रारेड होमिंग मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है जिसे एमबीडीए ने निर्मित किया है। अब एमबीडीए के सहयोग से बीडीएल भारत में इस मिसाइल का निर्माण करेगी। इसका उपयोग वाहनों, सतह के जहाजों और हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ पोर्टेबल कॉन्फ़िगरेशन में भी किया जा सकता है। इस मिसाइल को कंधे पर या तिपाई पर रखकर भी दागा जा सकता है। इसे कमांडर और शूटर के रूप में चालक दल की एक जोड़ी के साथ संचालित किया जाता है।