नई दिल्ली, 12 जुलाई (हि.स.)। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार लुढ़क रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक की कोशिशों के बावजूद डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में हर सप्ताह नई गिरावट नजर आ रही है। गिरावट के इस दबाव की वजह से जहां आयातित वस्तुओं की कीमत में लगातार तेजी आ रही है, वहीं भारतीय खजाने पर भी बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले 82 से 83 रुपये तक जा सकती है।
साल 2022 की शुरुआत से लेकर अभी तक रुपये की कीमत में 6 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ चुकी है। जानकारों का मानना है कि रुपये की कीमत में गिरावट के लिए एक साथ कई कारक जिम्मेदार हैं। इन कारकों में प्रत्यक्ष तौर पर विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार में की जा रही बिकवाली एक बड़ी वजह मानी जा सकती है, लेकिन दूसरी बड़ी वजह डॉलर इंडेक्स में लगातार आ रही तेजी भी है।
सोमवार का कारोबार बंद होने के बाद डॉलर इंडेक्स 20 साल के अपने सबसे ऊंचे स्तर 108.02 पर पहुंच गया था। साल 2022 में अभी तक डॉलर इंडेक्स में 12 प्रतिशत की तेजी आ चुकी है। इसके अलावा अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व अमेरिकी बाजार में बेकाबू हो रही रही महंगाई को काबू करने के लिए अपने इंटरेस्ट में भी लगातार बढ़ोतरी कर रहा है। इस वजह से विदेशी बाजार में लगा अमेरिकी निवेशकों का पैसा बड़े पैमाने पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के पास पहुंच रहा है। इस वजह से भी डॉलर इंडेक्स में तेजी का रुख बना हुआ है।
मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन के मुताबिक विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर इंडेक्स में आई जबरदस्त मजबूती के साथ ही रुपये की कमजोरी के पीछे कुछ स्थानीय कारक भी जिम्मेदार हैं। इन कारकों में भारत का ट्रेड डेफिसिट भी एक बड़ी वजह है। कोरोना संक्रमण और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बनी वैश्विक परिस्थितियों में भारत के ट्रेड डेफिसिट में लगातार बढ़ोतरी हुई है। दूसरी ओर आयात घटने और निर्यात बढ़ने की वजह से भी डॉलर की मांग बढ़ी है, जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट आई है। ये सभी कारक रुपये पर दबाव डाल रहे हैं, जिससे रुपये की कीमत में लगातार कमजोरी आ रही है।
इसी तरह आईसीआईसीआई डायरेक्ट की स्ट्रैटेजिक रिपोर्ट में भी बताया गया है कि भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर में मजबूती और ग्लोबल मार्केट में कमजोर सेंटीमेंट्स होने की वजह से डॉलर की मांग में लगातार तेजी बनी रह सकती है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली तेज होने तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत मिलने की वजह से भी रुपये पर और दबाव बढ़ सकता है। इस रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि अगर हालात में जल्द ही सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में भारतीय मुद्रा 82 से 83 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक गिर सकती है।
दूसरी ओर विरमानी सिक्योरिटीज के सीईओ नवीन विरमानी का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा हाल के दिनों में रुपये को सहारा देने के लिए उठाए गए कदमों से रुपये की गिरती कीमत को थामने में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही इंटरनेशनल ट्रेड में डॉलर की जगह रुपये का प्रचलन बढ़ाने के आरबीआई के फैसले का भी भारतीय मुद्रा की कीमत पर सकारात्मक अंदाज में दूरगामी असर पड़ेगा। विरमानी का मानना है कि एनआरआई अकाउंट में डॉलर की आवक को बढ़ाने कि भारतीय रिजर्व बैंक की कोशिशों से भी रुपये को सपोर्ट मिलने की उम्मीद की जा सकती है।