– पाकिस्तान का मुद्रा भंडार घटकर 8.24 अरब डॉलर का हुआ
– दुनिया के 17 देशों के सामने डिफॉल्टर होने का खतरा
नई दिल्ली, 11 जुलाई (हि.स.)। भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर तो खड़ा ही है, भारत के एक और पड़ोसी देश के सामने दिवालिया होने का खतरा बन गया है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों को आशंका है कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो चुका है कि वो कभी भी विदेशी कर्ज अदायगी के मामले में डिफॉल्टर की श्रेणी में आ सकता है।
इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी फिच की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक जून के महीने में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 8.24 अरब डॉलर रह गया था। हालात की गंभीरता को देखते हुए पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने देश की सरकार को सभी गैरजरूरी चीजों के आयात पर तत्काल रोक लगाने की सलाह दी थी।
रेटिंग एजेंसी फिच ने दुनिया भर के 17 देशों की सूची जारी की है, जो विदेशी मुद्रा भंडार के सीमित हो जाने के कारण दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गए हैं। इन देशों के पास विदेशी मुद्रा भंडार इतनी कम मात्रा में रह गया है कि इनके लिए कर्जों की अदायगी करना काफी कठिन हो गया है। जिसकी वजह से कभी भी ये देश कर्ज अदायगी के मामले में डिफॉल्टर घोषित हो सकते हैं।
फिच रेटिंग एजेंसी ने दिवालिया होने की कगार पर खड़े जिन 17 देशों की सूची तैयार की है, उसमें पाकिस्तान का नाम प्रमुखता के साथ शामिल किया गया है। इसके अलावा इस सूची में लेबनान, ट्यूनीशिया, घाना, ताजिकिस्तान, रूस, इथोपिया, बेलारूस, यूक्रेन, अर्जेंटीना, सुरीनाम और अल सल्वाडोर जैसे देशों के नाम भी शामिल है। इस सूची में शामिल रूस एकमात्र ऐसा देश है, जिसके पास पर्याप्त मात्रा में पैसा जरूर है, लेकिन अमेरिकी और पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंध की वजह से वो डॉलर के रूप में अपने विदेशी कर्ज का भुगतान नहीं कर पा रहा है।
फिच की रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने जुलाई के पहले सप्ताह में ही प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ को विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति के बारे में सूचित करने साथ ही सभी गैर जरूरी चीजों के आयात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की सिफारिश की थी। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने सरकार को साफ कर दिया है कि विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो चुका है कि अगर जल्द ही अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों या दूसरे देश से मदद नहीं मिली, तो ना केवल पाकिस्तान का आयात पूरी तरह से ठप हो जाएगा, बल्कि वो विदेशी कर्जों की अदायगी भी नहीं कर सकेगा। ऐसे में देश के सामने दिवालिया होने का खतरा बन जाएगा।
इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ब्लूमबर्ग ने भी एक रिपोर्ट जारी करके स्पष्ट किया है कि मौजूदा वैश्विक हालात में जितनी तेजी से देश के कुछ देशों का विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है, उसकी वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक असर पड़ सकता है। इस रिपोर्ट के अनुसार जांबिया और श्रीलंका की आर्थिक तबाही के बाद पाकिस्तान, अल सल्वाडोर, मिस्र, घाना, तुर्की और इथोपिया आने वाले दिनों में विदेशी कर्ज का भुगतान करने में नाकाम रह सकते हैं। जिसकी वजह से इन देशों के सामने दिवालिया होने का खतरा बन सकता है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वैश्विक हालात में अगर ये देश दिवालिया होने की स्थिति में पहुंचते हैं, तो इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था दबाव में आ जाएगी और वैश्विक निवेशक अपना पैसा सुरक्षित रखने के लिए ज्यादातर देशों में किए गए अपने निवेश को निकालने में लग जाएंगे। ऐसा होने पर उन देशों के सामने भी विदेशी मुद्रा का संकट खड़ा हो सकता है, जिनके पास फिलहाल पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि दुनिया के कई देशों में विदेशी मुद्रा भंडार की कमजोर स्थित बनने पर पूरी दुनिया में भुगतान असंतुलन के हालात बन सकते हैं, जिसके कारण दुनिया वैश्विक मंदी की ओर भी बढ़ सकती है।