-प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे का इस्तीफा, स्पीकर से फौरन संसद का सत्र बुलाने का आग्रह
-जनता के उग्र प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे सरकारी आवास से भागे, छोड़ेंगे पद
कोलंबो, 10 जुलाई (हि.स.)। आर्थिक संकट के बाद हिंसा से जूझ रहे श्रीलंका में हालात अब भी बेकाबू हैं। देश की अवाम गुस्से में है। भूखे-प्यासे लोग सड़कों पर हैं। कानून-व्यवस्था तार-तार हो चुकी है। भारी बवाल के बीच जनता ने राष्ट्रपति आवास पर कब्जा कर लिया है। लोगों के गुस्से को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफा दे दिया है। ऐसा समझा जा रहा है कि अब सर्वदलीय सरकार का गठन हो सकता है।
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने हिंसक प्रदर्शन से देश में पैदा हुए संकट पर चर्चा करने के लिए शनिवार को सभी राजनीतिक दल के नेताओं की आपात बैठक के बाद इस्तीफा देने का फैसला लिया था। विक्रमसिंघे के कार्यालय ने कहा है कि स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने से फौरन संसद का सत्र बुलाने का आग्रह किया गया है। इस सत्र में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को हटाने का फैसला लिया जा सकता है।
इससे पहले शनिवार को यहां जमकर बवाल हुआ। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन का घेराव करने के बाद उस पर कब्जा कर लिया। हालांकि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे शुक्रवार को ही आवास छोड़कर भाग गए थे। प्रदर्शनकारियों ने देरशाम प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के घर को भी फूंक दिया। इस दौरान भीड़ को सुरक्षाबलों के बल प्रयोग का सामना करना पड़ा।
जनता का मिजाज भांपते हुए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने पद छोड़ने का मन बना लिया है।राजपक्षे ने स्पीकर से कहा है कि वह 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे। स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने राष्ट्रपति के फैसले की घोषणा की है।
अगर ऐसा होता है तो संविधान के मुताबिक कार्यकाल पूरा होने से पहले राष्ट्रपति के पद छोड़ने पर संसद अपने किसी सदस्य को राष्ट्रपति चुन सकती है। यह प्रकिया राष्ट्रपति के इस्तीफे के एक एक महीने के भीतर शुरू होनी चाहिए। एक से ज्यादा उम्मीदवार होने पर गुप्त मतदान से राष्ट्रपति का चयन होगा। नए राष्ट्रपति के चयन तक प्रधानमंत्री कार्यवाहक राष्ट्रपति होंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री का कामकाज कैबिनेट का कोई सदस्य देखेगा। इस बीच ऐसी सूचना है कि राष्ट्रपति देश छोड़कर भाग गए हैं।
श्रीलंका इस समय आर्थिक संकट के दुष्चक्र में फंसा है। कुछ महीनों से महंगाई चरम पर पहुंच गई है। पेट्रोलियम पदार्थों के साथ ही रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की भी भारी कमी है। विदेशी मुद्रा भंडार खत्म है। विदेशी कर्ज बढ़कर 51 अरब डालर तक पहुंच गया है। श्रीलंका मई में पहली बार विदेशी कर्ज का भुगतान करने में विफल रहा।