RSS:संघ की प्रांत प्रचारक बैठक का समापन, 2024 तक एक लाख शाखाओं का संकल्प

– युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए भी देशव्यापी अभियान शुरू करेगा संघ

झुंझुनूं, 09 जुलाई (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देशभर में वर्ष 2024 तक एक लाख शाखाएं संचालित करने का संकल्प लिया है। वर्तमान में 56,824 शाखाएं हैं, जिनकी संख्या आगामी दो वर्ष में एक लाख तक बढ़ाई जाएंगी। राजस्थान के झुंझुनूं स्थित खेमी शक्ति मंदिर में संघ के प्रांत प्रचारकों की तीन दिवसीय बैठक में इसे लेकर व्यापक चर्चा हुई है।

अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के शनिवार को समापन पर संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने पत्रकार वार्ता में बताया कि सरसंघचालक डॉ. मोहन भावगत ने देश के 45 प्रांतों से आए प्रांत प्रचारकों और सह प्रांत प्रचारकों के साथ वर्षभर की गतिविधियों की समीक्षा की और आगामी कार्यक्रमों को लेकर भी विचार विमर्श किया। दो वर्ष बाद हुए संघ शिक्षा वर्गों में 40 वर्ष से कम आयु के 18,981 और 40 वर्ष से अधिक आयु के 2,925 शिक्षार्थियों ने सहभागिता की। इस वर्ष पूरे देश में संघ के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के 101 वर्गों में कुल 21,906 संख्या रही।

उन्होंने कहा कि संघ कार्य पुनः गतियुक्त हो रहा है। कोरोना के कारण प्रभावित हुआ शाखा कार्य फिर से शुरू हो गया है। वर्तमान में शाखाओं की संख्या 56,824 है। स्वयंसेवकों की सामाजिक कार्यों जैसे जल प्रबंधन, कचरा प्रबंधन, पर्यावरण एवं स्वच्छता आदि में समाज के साथ सहभागिता बढ़ती जा रही है। ऐसे ही कुटुंब प्रबोधन एवं कुरीतियों के निवारण के लिए स्वयंसेवक सामाजिक संस्थाओं, संतों एवं मठ-मंदिरों के सहयोग से कार्य आगे बढ़ा रहे हैं।

आंबेकर ने बताया कि विशेष रूप से संघ के शताब्दी वर्ष 2025 के संबंध में इस तीन दिवसीय बैठक में विशेष चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि पूर्व में इसके लिए व्यापक कार्य विस्तार योजना वर्ष 2021 में बनाई गई थी। वह योजना तीन साल की थी। कार्य विस्तार को लेकर एक साल के कार्यों की समीक्षा प्रांत प्रचारक बैठक में की गई है। जब वर्ष 2021 में शाखाओं को एक लाख करने का संकल्प लिया गया था तब शाखाओं की संख्या 55 हजार थी। फिलहाल अब तक यह संख्या 56 हजार से अधिक हुई है, लेकिन अगले दो साल में यह संख्या एक लाख हो जाएगी। बैठक में इसके लिए प्रांत, जिला और मंडल स्तर तक के लिए कार्ययोजना बनाई गई है।

उन्होंने कहा कि संघ युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए भी अभियान शुरू करेगा। इसके तहत 15 जुलाई से देशभर में उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन होंगे। वर्ष 2022 में स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। संघ की ओर से इसके अंतर्गत कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में मुख्य बिन्दु स्व के जागरण को रखा गया है। चाहे बात स्वभाषा की हो, स्वदेशी की हो या फिर स्वतंत्रता या स्वाधीनता की, इसी स्व के भाव को आगे बढ़ाते हुए संघ स्वावलम्बी जैसे कार्यक्रमों को आगे बढ़ाएगा। आजादी के आंदोलन में ऐसी अनाम उत्सर्ग करने वाली विभूतियों को समाज के सामने लाने का कार्य चल रहा है, जिन्हें आज कोई नहीं जानता।

आंबेकर ने कहा कि संघ का मानना है कि स्वरोजगार से ही देश आगे बढ़ सकता है। तीन दिवसीय बैठक में समीक्षा के दौरान यह सामने आया कि अब तक इस अभियान के तहत विभिन्न प्रांतों में 45 प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन किया जा चुका है और 4000 युवाओं ने संकल्प लिया है कि वे स्वावलंबी भारत अभियान को आगे बढ़ाएंगे। इस अभियान में अब तक 22 संगठन जुड़े हैं और 200 से अधिक औद्योगिक इकाइयां भी जुड़ी हैं। इन संगठनों ने निर्णय किया है कि 15 जुलाई अंतरराष्ट्रीय कौशल दिवस से लेकर 21 अगस्त विश्व उद्यमी दिवस तक पूरे देश में उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन का आयोजन कर युवाओं को इस अभियान से जोड़ा जाएगा। इस अभियान में संघ के स्वयंसेवक भी सहयोग करेंगे। इस तरह संघ न केवल व्यक्ति निर्माण और शाखा कार्य, बल्कि समाज के लिए उपयोगी और आवश्यक कार्य में भी अपना सहयोग करेगा।

‘काली’ फिल्म के संदर्भ में पूछे गए सवाल के जवाब में आंबेकर ने कहा कि क्रिएटिव फ्रीडम भारत की परम्परा है, लेकिन इस फ्रीडम का उपयोग करते हुए हर व्यक्ति को दूसरों की भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए। दूसरों की भावना आहत नहीं हो और न ही किसी दूसरे के भावना का अनादर हो, यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है।

उदयपुर में कन्हैयालाल तेली की हत्या के सवाल पर उन्होंने घटना की निंदा की और कहा कि इसकी जितनी भर्त्सना की जाए उतनी कम है। हमारे देश में लोकतंत्र है। किसी को यदि कोई बात पसंद नहीं है तो अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए लोकतांत्रिक मार्ग है। आंबेकर ने कहा कि जिस तरह से हिंदू समाज शांति और संवैधानिक तरीके से प्रतिक्रिया दे रहा है और आक्रोश भी जता रहा है, इसी तरीके से मुस्लिम समाज को भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज के प्रबुद्धजनों को आगे आकर ऐसी घटनाओं का विरोध करना चाहिए। आम्बेकर ने कहा कि हालांकि कुछ विरोध कर भी रहे हैं, लेकिन सम्पूर्ण समाज को इस तरह की बातों के निषेध पर विचार करना चाहिए। ऐसी घटनाएं न तो समाज के लिए और न ही देश के लिए ठीक हैं।

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