-भारत ‘आत्मनिर्भर’ बनने की ओर, वायु सेना के बेड़े में 15 साल बाद 100% देसी फाइटर ही होंगे
– नई पीढ़ी के हल्के एयरक्राफ्ट में कई तरह की मिसाइलें लगाने की क्षमता दोगुना तक बढ़ाई गई
नई दिल्ली, 08 जुलाई (हि.स.)। दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू विमानों में शुमार लाइट कांबैट एयरक्राफ्ट मार्क-2 अगले साल 2023 के अंत में पहली उड़ान भरेगा। इसके बाद तेजस डिफेंसिव एयरक्राफ्ट का तमगा खोकर अटैक करने वाले लड़ाकू विमानों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। तेजस एमके-1ए खरीदने वाले देशों को भी एमके2 और एएमसीए की पेशकश की जाएगी जब वे निर्यात के लिए उपलब्ध होंगे। फाइटर प्लेन के मामले में भारत ‘आत्मनिर्भर’ होने की दिशा में है और 15 साल बाद भारत के पास 100% देसी फाइटर ही होंगे।
‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियां कर रही भारतीय वायुसेना को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके-1ए की आपूर्ति 2023 से शुरू करेगा और ऑर्डर किये गए पूरे 83 विमान 2027 तक वायुसेना को मिल जाएंगे। इसी तरह पहले अनुबंधित किए गए 40 तेजस एमके-1 विमानों की भी आपूर्ति 2023 के मध्य तक पूरी की जाएगी। इसी के साथ एलसीए तेजस मार्क-2 का निर्माण शुरू कर दिया गया है। लखनऊ स्थित एचएएल में इसकी असेंबलिंग का काम चल रहा है। इसके बाद साल 2023 में इसके हाई स्पीड ट्रायल्स होंगे। साल 2025 तक एचएएल तेजस मार्क-2 का उत्पादन शुरू कर देगा।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर माधवन ने बताया कि पूरी तरह से स्वदेशी फाइटर प्लेन तेजस एमके-1ए खरीदने वाले देशों को भी एमके2 और एएमसीए की पेशकश की जाएगी जब वे निर्यात के लिए उपलब्ध होंगे। माधवन ने बताया कि अगले साल से स्वदेशी मल्टीरोल कॉम्बैट फाइटर जेट तेजस मार्क-2 को बनाना शुरू किया जाएगा। तेजस के इस अपग्रेडेड वर्जन में ज्यादा ईंधन, ज्यादा रेंज, ज्यादा वजन उठाने की क्षमता, ज्यादा इंजन पावर और सुपीरियर नेट सेंट्रिक वॉरफेयर सिस्टम होगा। ज्यादा वजन और रेंज की वजह से यह मार्क-1ए से बेहतर होगा। तेजस मार्क-2 अपने पहले वर्जन से ज्यादा बेहतर होगा। अगले साल 2023 के अंत में इसकी पहली उड़ान की उम्मीद की जा रही है।
उन्होंने बताया कि तेजस मार्क-2 की गति मैक 2 यानी 3457 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इसकी मारक रेंज 2500 किलोमीटर होगी। यह 56 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है। इसमें 23 मिलीमीटर की जीएसएच-23 गन होगी। साथ ही इसमें हवा से हवा में मार करने वाली सात मिसाइलें, हवा से जमीन पर मार करने वाली चार मिसाइलें, एक एंटी रेडिएशन मिसाइल, पांच बम लगाए जा सकते हैं। तेजस मार्क-2 में ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल भी लगाई जा सकती है। इसके अलावा निर्भय, स्टॉर्म शैडो, अस्त्र, मीटियोर, असराम और क्रिस्टल मेज जैसी मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं। इस विमान में प्रीसिशन गाइडेड बम, लेजर गाइडेड बम, क्लस्टर बम, अनगाइडेड बम और स्वार्म बम लगाए जा सकते हैं।
तेजस फाइटर के जनक चीफ डिजाइनर डॉ. कोटा हरिनारायण ने बताया कि तेजस का दूसरा पार्ट दोगुनी शक्ति के साथ दुश्मनों के छक्के छुड़ाएगा। नई पीढ़ी के एयरक्राफ्ट में मिसाइलों को लगाने की क्षमता दोगुना तक बढ़ाई गई है। पहले 4 टन युद्धक सामग्री ही ले जा सकते थे लेकिन अब 7 टन तक क्षमता बढ़ा दी गई है। नए तेजस में 9 के बजाए 11 हार्ड प्वाइंट्स लगाए गए हैं। इसके विंग तेजस की तुलना में 30 सेंटीमीटर बड़े हैं। विंग्स के आगे दोनों ओर कनॉट दिए गए हैं, जिससे दुश्मन के अटैक से बचाएगा। इसमें मिसाइल अप्रोच वार्निंग सिस्टम लगाया गया है। इसलिए पीछे से मिसाइल अटैक होने पर विमान बैक साइड में इतना घना धुआं छोड़ देगा कि दुश्मन की मिसाइल कंफ्यूज होकर निशाने से चूक जाएगी।
उन्होंने बताया कि तेजस मार्क-2 के कॉकपिट में वाइस कमांड भी दिया गया है, ताकि पायलट को बटन पुश करने का समय न होने पर वह आवाज देकर ही मिसाइल अटैक कर सकता है। इस तरह के अटैक में राफेल फाइटर प्लेन से ज्यादा प्रभावी होगा। सबसे बड़ी बात ये है कि तेजस का नया वर्जन मार्क-2 वायु सेना में मिग-29, जगुआर और मिराज फाइटर प्लेन की जगह लेगा। अगले साल के अंत में आने वाले इस एयरक्राफ्ट को 2025 तक कई परीक्षणों के बाद सेवा में शामिल कर लिया जाएगा।