सेंट्रल जू अथॉरिटी और एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया से दिल्ली चिड़ियाघर पर मांगी रिपोर्ट
नई दिल्ली, 6 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि वो अफ्रीकी हाथी शंकर को भारत से बाहर शिफ्ट करने की अनुमति नहीं देगा। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सेंट्रल जू अथॉरिटी और एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया को निर्देश दिया कि वो अफ्रीकन हाथी के रखरखाव की तहकीकात के लिए दिल्ली के चिड़ियाघर का निरीक्षण कर रिपोर्ट दाखिल करें। मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम अफ्रीकी हाथी शंकर को भारत से बाहर जाने की अनुमति नहीं दे सकते। ये भारत की संपत्ति है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप चिंता न करें, हम उसकी पर्याप्त देखभाल करेंगे। कोर्ट ने सेंट्रल जू अथॉरिटी और एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया को संयुक्त रूप से चिड़ियाघर जाकर शंकर के रखरखाव का निरीक्षण करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में ये भी बताएं कि क्या शंकर को देश के किसी दूसरे चिड़ियाघर में पुनर्वासित किया जा सकता है। कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि प्रशासन इस बात की संभावना तलाशे कि क्या शंकर की उम्र का कोई अफ्रीकी मादा हाथी भारत लाया जा सकता है।
दरअसल, यूथ फॉर एनिमल्स की संस्थापक निकिता धवन ने अफ्रीकन हाथी शंकर को छुड़ाने और उसके पुनर्वास की मांग करते हुए याचिका दायर की है। कोर्ट ने जनवरी में याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार के अलावा नेशनल जूलॉजिकल पार्क और सेंट्रल जू अथॉरिटी को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिका में कहा गया है कि शंकर और बोम्बई नामक अफ्रीकी हाथियों के जोड़े को जिम्बाब्वे ने 1998 में भारत को उपहार दिया था लेकिन खराब व्यवस्था की वजह से बोम्बई का निधन 2005 में हो गया। उसके बाद शंकर नामक हाथी अकेला हो गया।
याचिका में सूचना के अधिकार के जवाब का उल्लेख करते हुए कहा कि शंकर को प्रतिदिन 17 घंटे तक दोनों पैरों में जजीरें बांधकर रखी जाती हैं। उसके साथ क्रूरता से पेश आया जाता है। याचिका में मांग की गई है कि शंकर हाथी को नेशनल जूलॉजिकल पार्क से छुड़ाने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए। याचिका में सेंट्रल जू अथॉरिटी के 2009 के उस सर्कुलर का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि हाथियों को चिड़ियाघरों में प्रदर्शनी के लिए प्रतिबंधित किया गया है। सेंट्रल जू अथॉरिटी ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा है कि किसी हाथी को छह महीने से ज्यादा समय तक अकेले में नहीं रखा जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि शंकर के बाड़े से महज सौ मीटर की दूरी पर कई रेलवे ट्रैक हैं, जिसकी वजह से वो काफी परेशान हो जाता है।