नई दिल्ली, 02 जुलाई (हि.स.)। संसार उड़न तश्तरियों का रहस्य प्रमाणिक तौर पर 32 साल से उलझा है। इनका ब्रह्माण्ड में अस्तित्व है या नहीं? सतत शोध और इस रहस्य तक पहुंचने की जिज्ञासा पर बड़ी रकम खर्च करने के बावजूद अभी तक इनकी प्रमाणिकता पर कोई पुख्ता दावा नहीं कर सका है। सारी दुनिया आधिकारिक रूप से 02 जुलाई, 2001 से हर साल विश्व यूएफओ (अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑबजेक्ट) दिवस मना रही है। हालांकि इसकी शुरुआत 24 जून 1990 को हो चुकी थी। एविएटर केनेथ अर्नोल्ड के अनुसार जून 1990 में नौ असामान्य वस्तुओं ने वाशिंगटन के ऊपर उड़ान भरी थी। इसलिए 24 जून को इस दिवस के लिए चुना गया था।
इस दिवस मनाने के पीछे का मकसद यह है कि लोग
उड़न तश्तरियों के बारे में जानकारी साझा करें और उनके प्रति जागरुकता फैलाएं। इस साल का विश्व यूएफओ दिवस ज्यादा प्रासंगिक है। पिछले महीने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने यूएफओ की पड़ताल के लिए अलग टीम बनाने का ऐलान किया है। इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस ने यूएफओ पर एक जनसुनवाई का आयोजन किया था।
इस जनसुनवाई में अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट ने पिछले साल की 144 ऐसी घटनाओं का लेखा जोखा रखा। इस रिपोर्ट में यूएफओ को देखे जाने का संदेह था और उनकी व्याख्या नहीं हो सकी थी। यह पहली बार है कि अमेरिकी सरकार और नासा ने इसे गंभीरता से लिया है।
नासा के मुताबिक उसका लक्ष्य उपलब्ध आंकड़ों को छांटना, भविष्य के आंकड़ों को इकट्ठा करने के सर्वोत्तम तरीकों की पहचान करना और मुद्दे की वैज्ञानिक समझ के साथ आगे बढ़ाने का है। स्वतंत्र टीम सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों का आकलन करेगी और यह समझने की कोशिश करेगी कि रहस्यमयी दृश्यों की वैधता को स्थापित करने के लिए कितना आवश्यक है।
नासा के विज्ञान मिशन प्रमुख थॉमस ज़ुर्बुचेन ने नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज वेबकास्ट में कह चुके हैं कि हम जोखिम से दूर नहीं भाग रहे हैं। इन घटनाओं की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यह एक डेटा से संबंधिक फील्ड है। नासा इसे अज्ञात हवाई घटना के रूप में ज्ञात आकाश में रहस्यमय दृश्यों को समझाने की कोशिश में पहला कदम मानता है। नासा इस निष्कर्ष को हासिल करने में 10 हजार डॉलर से लेकर एक लाख डॉलर तक खर्च करेगी।