मॉस्को, 28 जून (हि.स.)। यूक्रेन पर हमला कर रूस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी-बड़ी बातें तो कर रहा है किन्तु इसका असर अब रूस की अर्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है। 109 साल में पहली बार रूस समय पर अपना विदेशी कर्ज नहीं चुका पाया है और डिफॉल्टर बन गया है।
तीन माह पहले रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। तब से लगातार रूस की सेनाएं यूक्रेन पर हमलावर हैं। इस हमले के बाद रूस पर तमाम अंतरराष्ट्रीय पाबंदियां भी लगा दी गयी थीं। युद्ध के तीन महीने से अधिक समय बाद रूस पर लगी इन अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों का असर दिखने लगा है।109 साल में पहली बार रूस अपना विदेशी कर्ज तय समय पर नहीं अदा कर पाया है। ऐसे में रूस डिफॉल्टर की श्रेणी में आ गया है। 1913 के बाद पहली बार डिफॉल्टर बन गया है। इससे पहले रूस 1913 में बोल्शेविक क्रांति के दौरान डिफॉल्टर बना था। उस समय रूस के जार साम्राज्य का पतन हो गया था और सोवियत संघ बना था।
दरअसल, रूस को लगभग 40 अरब डॉलर के विदेशी बॉन्ड का भुगतान करना है। इसमें से आधा विदेशी कर्ज है। यूक्रेन जंग के कारण लगी पाबंदियों के कारण रूस की ज्यादातर विदेशी मुद्रा और स्वर्ण भंडार विदेशों में जब्त है। रूस को विदेशी कर्ज के ब्याज के रूप में 26 मई को 10 करोड़ डॉलर का भुगतान करना था लेकिन वह यह चुकाने में विफल रहा। इसके बाद रूस को एक माह की मोहलत मिली थी, जो रविवार को खत्म हो गई। इसके बावजूद रूस इन स्थितियों को स्वीकार नहीं कर रहा है।
रूस के वित्त मंत्री एंटन सिलुआनोव ने कहा है कि रूस के पास विदेशी कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त पैसा है लेकिन पश्चिमी देशों द्वारा उस पर लगाई गई पाबंदियों के कारण वह अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं को पैसा नहीं चुका पा रहा है। वित्त मंत्री सिलुआनोव ने कहा कि हमारे पास पैसा है और हम कर्ज चुकाने को तैयार हैं लेकिन कृत्रिम संकट के हालात पैदा कर दिए गए हैं।