ढाका, 26 जून (हि.स.)। भारत-बंगलादेश को जोड़ने वाला बहुप्रतीक्षित पद्मा पुल रविवार सुबह छह बजे से यातायात के लिए खोल दिया गया। इस पुल को पार करने के लिए पहले दिन सैकड़ों गाड़ियों की लंबी कतार देखी गईं।
इस पुल पर टोल वसूली के लिए कुल 14 बूथ स्थापित किए गए हैं। इस पुल को पार करने के लिए मोटरसाइकिल को 100 टका (बांग्लादेशी मुद्रा), जबकि बस को 2,400 टका और मध्यम आकार के ट्रक को 2,800 टका का भुगतान करना होगा। पांच टन तक के मिनी ट्रकों के लिए 1,600 टका, पांच टन से लेकर आठ टन तक के वाहनों के लिए 2,100 टका, तीन धुरा ट्रकों के लिए 5,500 टका और चार धुरा ट्रेलर के लिए 6,000 टका निर्धारित किया गया। चार धुरे से अधिक प्रत्येक धुरे के लिए 1,500 टका टोल चुकाना होगा।
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शनिवार दोपहर को रंगारंग कार्यक्रम में मुंशीगंज के मावा के अंतिम छोर पर बने 6.15 किलोमीटर लंबे पद्मा पुल की पट्टिका का अनावरण किया था। पद्मा नदी बांग्लादेश में गंगा नदी की प्रमुख धारा है। पद्मा नदी पर बना यह पुल-रेल और सड़क मार्ग परियोजना है। इस परियोजना को पूरा करने में 3.6 अरब डालर खर्च हुए हैं। यह मार्ग भारत और बांग्लादेश के कारोबारी रिश्तों को नया आयाम दे सकता है। इस पुल के खुल जाने से ढाका से कोलकाता की दूरी करीब तीन घंटे कम हो जाएगी।
यही नहीं पड़ोसी देश के मोंगला पोर्ट से होते हुए पद्मा ब्रिज से भारत अपने पूर्वोत्तर राज्यों तक ज्यादा तेजी से पहुंच सकेगा। अभी तक पद्मा नदी को पार करने का एक मात्र जरिया नाव थी, जिससे एक पाट से दूसरी तरफ जाने में छह से आठ घंटे लगते थे। बारिश मे उफनती पद्मा नदी को पार करना मौत को दावत देने के समान होता था।