नई दिल्ली, 25 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी7 शिखर वार्ता में भाग लेने के लिए जर्मनी रवाना होने से पूर्व अपने वक्तव्य में कहा कि वह वहां विभिन्न नेताओं से विश्व मामलों पर विचार-विमर्श करेंगे।
जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने दुनिया के विकसित देशों के संगठन जी7 की शिखर वार्ता में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है। भारत के अलावा अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका के नेता भी अतिथि प्रतिनिधि के रूप में शिखर वार्ता में भाग लेंगे।
जी7 शिखर वार्ता का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब यूक्रेन में सैन्य संघर्ष जारी है तथा पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ व्यापक प्रतिबंध लगाए हैं। सदस्य देश रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। ये देश यूक्रेन को सैन्य और मानवीय सहायता की घोषणा कर सकते हैं।
कूटनीतिक हलकों में यह कयास लगाया जा रहा है कि जी7 के सदस्य देश भारत को रूस से तेल की खरीद कम करने तथा हथियारों के लिए रूस पर निर्भरता कम करने के लिए कह सकते हैं। हालांकि अमेरिकी प्रशासन अधिकारी ने कहा कि शिखर वार्ता के विचार-विमर्श के मुद्दे बहुत व्यापक हैं तथा हम भारत को रूस से अलग करने की कोशिश नहीं कर रहे।
अपने प्रारंभिक वक्तव्य में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, आतंकवाद विरोधी उपायों, स्त्री-पुरुष समानता और लोकतंत्र आदि मुद्दों पर सहयोगी देशों के नेताओं से विचार-विमर्श करेंगे।
शिखर वार्ता से इतर जी7 देशों और अतिथि देशों के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता भी होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह शिखर वार्ता अंतरराष्ट्रीय सहयोग और महत्वपूर्ण विश्व मामलों पर चर्चा करने का एक अवसर है। उन्होंने जर्मनी के चांसलर स्कोल्ज के साथ पिछले दिनों ही अपने सार्थक वार्ता का जिक्र भी किया।
जर्मनी में प्रधानमंत्री मोदी यूरोपीय देशों के भारतीय प्रवासियों के प्रतिनिधियों से भी चर्चा करेंगे।
प्रधानमंत्री रविवार से शुरू हो रही अपनी तीन दिवसीय विदेश यात्रा के दूसरे चरण में संयुक्त अरब अमीरात की भी यात्रा करेंगे।
अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, इटली और जापान जी7 संगठन के सदस्य देश हैं। शिखर वार्ता में यूरोपीय संघ का प्रतिनिधि भी शामिल होता है।