ढाका, 23 जून (हि.स.)। बांग्लादेश में इस्लाम के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद के संबंध में विवादास्पद टिप्पणी के मद्देनजर नूपुर शर्मा सहित दो भाजपा नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर हर दिन बैठकें और रैलियां हो रही हैं। इसी बीच कुछ संगठनों ने बांग्लादेश की संसद में निंदा प्रस्ताव पारित करने की भी मांग की है। हालांकि कुछ राजनीतिक दल इस तरह की निंदा प्रस्ताव लाने पर सहमत नहीं हैं।
बांग्लादेश में विभिन्न राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं ने इस मुद्दे पर बहुभाषी समाचार एजेंसी “हिन्दुस्थान समाचार” से बात की है। अल-हसानी अल-मैजभंडारी और वर्ल्ड सूफी फोरम के बांग्लादेश चैप्टर के अध्यक्ष प्रिंस सैयद सैफुद्दीन अहमद ने कहा है कि जो लोग दूसरों के धर्म का अपमान करते हैं, वे कभी इंसान नहीं हो सकते। भारत की नुपुर शर्मा हों या कोई और व्यक्ति। हर धर्म में दूसरों के धर्म का सम्मान करने और सहिष्णु होने की बात होती है। उन्होंने कहा कि पैगंबर की आलोचना से दुनियाभर के सभी मुस्लिम समुदायों के लोगों को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि इस्लाम कभी भी आतंकवाद और हिंसा का समर्थन नहीं करता है।
बांग्लादेश इस्लामिक यूनिटी एलायंस के अध्यक्ष मिस्बाहुर रहमान चौधरी ने कहा कि हज़रत मुहम्मद को दुनिया के सभी मुसलमान अंतिम पैगंबर मानते है। पैगंबर का चरित्र अनुकरणीय होता है। उनपर आपत्तिजनक टिप्पणी वह बेहद निंदनीय है। इस्लामिक यूनिटी अलायंस ने आरोपितों को सजा दिलाने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण मानव श्रृंखला कार्यक्रम चलाया है। चौधरी ने कहा कि उन्हें भाजपा से निकाल दिया गया है। इस्लामिक यूनिटी एलायंस ने मांग की है कि बांग्लादेश सरकार पैगंबर के दोनों आलोचकों की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित करे और साथ ही भारत सरकार से दोनों नेताओं पर अनुकरणीय दंड लगाने का आह्वान करे। मिस्बाहुर रहमान ने पश्चिम बंगाल सहित भारत के विभिन्न राज्यों में हिंदुओं के घरों और व्यवसायों पर हमलों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह का हमला होता है तो यह बेहद निंदनीय है।
बांग्लादेश जाति समाजतांत्रिक दल (जेएसडी) के महासचिव और पूर्व सांसद नजमुल हक प्रधान ने कहा कि बांग्लादेश में अधिकांश लोग मुस्लिम हैं और इसलिए बांग्लादेशी संसद में एक प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए। इसमें नूपुर शर्मा को कड़ी सजा देने की मांग की जाए।
नेशनल पार्टी ऑफ बांग्लादेश के अध्यक्ष के सलाहकार और एक निजी विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मेहे जेबुन्नेसा रहमान तुंपा की निंदा प्रस्ताव के बारे में एक अलग राय है। उन्होंने कहा कि हमें गाली देने वालों के लिए कड़ी सजा की मांग करनी चाहिए। भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक है। हमें उम्मीद है कि देश न्याय करेगा लेकिन अगर बांग्लादेश की संसद में निंदा का प्रस्ताव लाया जाता है, तो इसमें एक मित्र राष्ट्र के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप होगा। उन्होंने कहा कि पिछली दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं को प्रताड़ित किया गया था और उनमें से कई मारे गए थे लेकिन भारत ने अपनी संसद में निंदा प्रस्ताव पेश नहीं किया है। भारत सरकार पर दो व्यक्तियों की जिम्मेदारी थोपना बहुत बड़ा अन्याय होगा।