मैसूर/नई दिल्ली, 20 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कर्नाटक के मैसूर स्थित सुत्तूर मठ में केएसएस संस्कृत पाठशाला और छात्रावास के नए भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने तीन पुस्तकों का विमोचन भी किया। इस दौरान मठ से जुड़े संतों ने प्रधानमंत्री के कार्यों की प्रशंसा की, जिसके उत्तर में प्रधानमंत्री ने कहा कि वे देश के संतों के मार्गदर्शन में कार्य करते रहेंगे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की परंपरा और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा के क्षेत्र में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ लाई गई है। शिक्षा भारत के लिए सहज स्वभाव रही है। इसी सहजता के साथ हमारी नई पीढ़ी को आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए। इसके लिए स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई के विकल्प दिये जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि ज्ञान के समान पवित्र कुछ और नहीं है, ज्ञान का कोई और विकल्प नहीं है और इसलिए, हमारे ऋषियों, मनीषियों ने भारत को उस चेतना के साथ गढ़ा, जो ज्ञान से प्रेरित है, विज्ञान से विभूषित है। युग बदले, समय बदला, भारत ने समय के अनेक तूफानों का सामना किया, लेकिन जब भारत की चेतना क्षीण हुई तो देश के कोने-कोने में संतों-ऋषियों ने पूरे भारत को मथकर देश की आत्मा को पुनर्जीवित कर दिया।
उन्होंने कहा कि आज जब हम देश की आजादी के 75 साल मना रहे हैं, तो आजादी के अमृत काल का ये कालखंड सबके प्रयास का उत्तम अवसर है। हमारे ऋषियों ने सहकार, सहयोग और सबके प्रयास के इस संकल्प को ‘सहनाववतु, सहनौभुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै’ जैसी वेद मंत्रों के रूप में हमें दिया है। भगवान बसवेश्वर ने हमारे समाज को जो ऊर्जा दी थी, उन्होंने लोकतंत्र, शिक्षा और समानता के जो आदर्श स्थापित किए थे, वो आज भी भारत की बुनियाद में हैं।
प्रधानमंत्री ने मैसूर की अधिष्ठात्री देवी माता चामुंडेश्वरी को प्रणाम किया और कहा कि मां की कृपा से उन्हें मैसूर आने का सौभाग्य मिला और विकास के लिए कई बड़े कार्यों के लोकार्पण का अवसर भी मिला।