जबलपुर,19 जून (हि.स.)। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में हमारा लक्ष्य है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से सभी सुखी हों। सिकलसेल बीमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती है। इसकी रोकथाम के लिए दीर्घ कार्य-योजना पर कार्य किया जा रहा है।
केन्द्रीय मंत्री मांडविया रविवार को विश्व सिकलसेल एनीमिया जागरुकता दिवस पर जबलपुर में इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नालॉजी डिजाइनिंग एण्ड मेन्युफेक्चरिंग (ट्रिपल आईटीडीएम) में सिकलसेल रोग के समग्र प्रबंधन पर कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सिकलसेल एनीमिया के समग्र रोकथाम और प्रबंधन में सभी को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, इसके लिए हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर कार्य कर रहे हैं। पीड़ितों की 13 प्रकार की जांच कर उन्हें आवश्यक दवाइयां और टेलीमेडिसिन सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
केन्द्रीय मंत्री मांडविया ने कहा कि सिकलसेल उन्मूलन के लिए यह कार्यशाला महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा गरीबों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ देकर पीड़ितों को स्वास्थ्य सुरक्षा दी जा रही हैं। सिकलसेल, टीबी, मलेरिया, थैलेसिमिया आदि रोगों के उपचार के लिये बड़े स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। इन प्रयासों में समुदाय की भागीदारी ली जा रही है। समाज और सरकार जब मिलकर कोई कार्य करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है।
इस मौके पर मप्र के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी मौजूद रहे। कार्यशाला आईसीएमआर, राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य अनुसंधान और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा की गई।
सिकलसेल रोग के उन्मूलन में ठोस कार्य-योजना का हो रहा है क्रियान्वयनः राज्यपाल
कार्यशाला में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि सिकलसेल एक गंभीर अनुवांशिक बीमारी है। यह मानवता के लिए चुनौती है। समय पर पहचान होने पर बीमारी का उपचार किया जा सकता है और पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। सिकलसेल के लक्षण सिर्फ जनजातीय समुदाय में ही नहीं, अन्य समुदायों में भी परिलक्षित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारें सिकलसेल के समग्र उन्मूलन के लिये ठोस कार्य-योजना पर कार्य कर रही हैं। प्रदेश के जनजातीय बहुल 14 जिलों में इसकी रोकथाम और बचाव का अभियान चलाया जा रहा है। बीमार व्यक्तियों के स्वास्थ्य, विवाह और पुनर्वास सहायता पर भी ध्यान दिया जा रहा है। सिकलसेल रोग की पहचान के लिये स्क्रीनिंग और टेस्टिंग तेजी से करें, जो अगले 6 माह में पूरी हो जाये।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिकलसेल के उन्मूलन के लिये जो रोड-मेप दिया है, उसे पूरा करने के लिये व्यापक और प्रभावी प्रयास किये जायें। घर-घर जाकर इस बीमारी के बारे में लोगों को बताया जाये और बीमारी की पहचान कर उपचार की दिशा में कदम बढ़ाये जायें। इन प्रयासों में समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सहभागी बनकर अपना योगदान देना होगा।
उन्होंने कहा कि सिकलसेल रोग से मुक्ति के लिये आज से ही जुट जायें। मध्यप्रदेश में हीमोग्लोबिनपैथी मिशन में सिकलसेल को अगली पीढ़ी तक जाने से रोकने की दिशा में कार्य हो रहा है। उन्होंने सिकलसेल एनीमिया और थैलेसिमिया की रोकथाम के लिये जन-समुदाय के सहयोग से स्क्रीनिंग, जन-जागरूकता और उपचार प्रबंधन कार्यक्रम चलाने पर विशेष जोर दिया। राज्यपाल ने कहा कि हीमोग्लोबिनपैथी मिशन प्रोजेक्ट में सिकलसेल पोर्टल में पीड़ित व्यक्तियों का डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड संधारित किया जा सकेगा।
सिकलसेल एनीमिया के उन्मूलन में जन-सहयोग से मिलेगी सफलता: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोविड महामारी को सामाजिक सहभागिता से नियंत्रित किया गया था। ठीक इसी प्रकार सिकलसेल एनीमिया के उन्मूलन में भी जन-सहयोग से सफलता मिलेगी। सिकलसेल एनीमिया के उन्मूलन के लिये प्रदेश के सभी जिलों में जन-भागीदारी से जन-जागरुकता अभियान चलाया जायेगा। जगह-जगह नुक्कड़ नाटक, गीत आदि प्रचार-प्रसार के तरीकों से जागरुकता लाई जायेगी। उन्होंने कहा कि योग, आयुर्वेद और जन-सहयोग से सिकलसेल की रोकथाम के प्रभावी कार्य होंगे। जन-सहयोग के साथ राज्य और जिला स्तर पर टॉस्क फोर्स का गठन किया जायेगा।
कार्यक्रम में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने भी सिकलसेल एनीमिया के रोकथाम और बचाव के लिये प्रदेश में किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हीमोग्लोबिनपैथी मिशन में आज लोकार्पित सिकलसेल पोर्टल में डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड संधारित होगा। कार्यक्रम में सिंगल क्लिक से जागरूकता गीत का विमोचन और एनीमेटेड वीडियो का शुभारंभ किया गया। अतिथियों ने सिकलसेल रोग के बारे में लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।