ओम बिरला ने तीन वर्ष में लोकसभा में बनाये नये रिकॉर्ड
-17वीं लोकसभा के तीन वर्ष में हुआ पिछले 18 वर्षों की तुलना में सर्वाधिक कामकाज
नई दिल्ली, 18 जून (हि.स.)। लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर ओम बिरला रविवार को तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। विनम्र और सरल स्वभाव के बिरला मृदुभाषी हैं। किंतु, सदन की कार्यवाही के दौरान बाधा उत्पन्न करने पर सदस्यों को फटकार लगाने से भी नहीं चूकते। सदन में अनुशासन कायम रखने के साथ ही विधायी कार्यों को पूरा कराने और सदस्यों को अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त समय देने के वे पक्षधर हैं। उनके तीन वर्ष के कार्यकाल में लोकसभा ने कई नये कीर्तिमान बनाये हैं। 1972 में प्रश्नकाल की व्यवस्था प्रारंभ होने के बाद 17वीं लोकसभा के दौरान ही तीन बार ऐसा हुआ कि एक घंटे में सभी 20 तारांकित प्रश्नों के उत्तर दिये गये। लोकसभा की बैठकों और कार्यवाही के आंकड़े बताते हैं कि तुलनात्मक रूप से बीते 18 वर्षों में सबसे ज्यादा काम 17वीं लोकसभा के पहले तीन वर्षों में हुआ। उनका कहना है कि संसद में चर्चा और संवाद से ही बेहतर परिणाम आते हैं। पेश है लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के विशेष संवाददाता अजीत पाठक की खास बातचीत के मुख्य अंशः
प्रश्नः बतौर लोकसभा अध्यक्ष तीन साल के कार्यकाल में किसे अपनी उपलब्धि मानते हैं?
उत्तरः 17वीं लोकसभा का गठन 25 मई 2019 को हुआ था और इसकी पहली बैठक 17 जून 2019 को हुई थी। तब से लेकर अब तक लोकसभा की तीन वर्षों की यात्रा अभूतपूर्व रही है। 14वीं से 16वीं लोकसभा के पहले आठ सत्रों की तुलना में 17वीं लोकसभा के पहले आठ सत्रों में सदन की उत्पादकता में वृद्धि हुई है। 17वीं लोकसभा के पहले से आठवें सत्र के बीच सदन की उत्पादकता 106 प्रतिशत रही है। सदस्यों की सक्रिय सहभागिता से ही यह संभव हो सका, जो भी विषय चर्चा के लिए आये, सदस्यों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और देर रात तक सदन में बैठ कर अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन किया। इस कारण सदन में कामकाज की उत्पादकता में वृद्धि हुई। इन तीन वर्षों में सदन में सहयोग एवं सहभागिता के लिए मैं सभी सदस्यों का आभारी हूं।
प्रश्नः तीन वर्षों में आपको सदन के संचालन में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
उत्तरः देखिये, मेरे समक्ष कोई चुनौती नहीं रही। सदन के सुचारू संचालन में सभी का सहयोग मिला। मैंने सभी दलों और सदस्यों को चर्चा में भाग लेने के लिए पर्याप्त समय दिया और सदस्यों ने खुलकर अपने विचार व्यक्त किये। मेरी कोशिश रही कि नये सदस्यों और महिला सदस्यों को अपनी बात रखने का ज्यादा से ज्यादा समय दिया जाये और मैंने ऐसा किया। इसके परिणाम भी उत्साहजनक रहे। पहली बार चुनकर आये 208 सदस्यों ने शून्यकाल में विभिन्न मुद्दों को उठाया। इतना ही नहीं, नई पहल के तहत शून्यकाल में उठाये गये विषयों पर भी मंत्रालयों की ओर से अब जवाब मंगवाये जा रहे हैं।
प्रश्नः हाल के दिनों में कांग्रेस समेत विभिन्न दलों के सदस्यों ने विशेषाधिकार हनन के मामलों की शिकायत की है, इस दिशा में क्या कदम उठाया गया है?
उत्तरः विशेषाधिकार हनन की शिकायतों के निपटारे की एक प्रक्रिया होती है। संसद के कामकाज, संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन के लिए सदस्यों को विशेषाधिकार होता है। इसके अलावा कानून सभी के लिए समान होता है। लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय में जो भी विशेषाधिकार हनन का नोटिस आता है उसका समाधान करने के लिए उसे समिति के समक्ष भेज दिया जाता है। समिति मामले की जांच कर उचित निर्णय करती है जिसके आधार पर कार्रवाई की जाती है।
प्रश्नः संसद की नई इमारत कब तक बनकर तैयार हो जायेगी और कामकाज कब से शुरू होगा ?
उत्तरः देखिये, संसद की नई इमारत का कामकाज तेजी से चल रहा है। हमारी कोशिश है कि वर्ष 2022 के आगामी शीतकालीन सत्र की बैठक नये संसद भवन में हो। इस दिशा में प्रयास चल रहा है।
प्रश्नः सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा चल रही है कि लोकसभा अध्यक्ष के रूप में आपके बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए आने वाले दिनों में आपको नया दायित्व दिया जा सकता है?
उत्तरः (मुस्कुराते हुए) अभी मेरे पास लोकसभा अध्यक्ष का दायित्व है और उसे पूरी ईमानदारी से निभा रहा हूं। सभी सदस्यों के सहयोग से इसे पूरा कर सकूं इसकी पूरी कोशिश करता हूं।
हिन्दुस्थान समाचार/अजीत/पवन