रतलाम, 16 जून (हि.स.)। लगन और जुनून के आगे हर कठिन कार्य न केवल सरल हो जाता है बल्कि कभी-कभी अविश्वसनीय वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बन देता है। ऐसा ही दृष्टिबाधित मिस्टर अक्षद पंडित ने कर दिखाया है। अक्षद को नोबेल बुक ऑफ विश्व रिकॉर्ड मेंं सिटी ऑफ नोबेल विश्व रिकॉर्ड के लिए चुना गया।
रतलाम के पत्रकार भुवनेश पंडित एवं गर्ल्स कालेज में संगीत की प्रोफेेसर डाॅ. स्नेह पंडित के 21 वर्षीय पुत्र अक्षद को रेलवे की सैकड़ों ट्रेनों के नंबर व नाम के साथ ट्रेनों की समय सारणी याद है। साथ ही कौन सी ट्रेन कब और किस प्लेटफार्म पर आती है, यह सब वह धाराप्रवाह बता सकता है। जानकारी के मुताबिक अक्षद को शुरू से ही ट्रेनों की जानकारी रखना अच्छा लगता है। दो वर्ष कोरोना काल के लॉकडाउन में उसका ट्रेनों की जानकारी के प्रति उसका जुनुुन ओर बढ़ गया। दृष्टिहीन अक्षद ने यूट्यूब पर ट्रेनों की जानकारी सुन-सुन कर अपने ज्ञान में इजाफा किया। अक्षद को लगभग 550 गाड़ियों की जानकारी के साथ उनके इंजन के नंबर भी याद हैं। वह मालगाड़ी के इंजन और यात्री गाड़ी के इंजन की आवाज यह मुंह से निकाल सकते है और यह भी बता सकते है कि यह कौन सा इंजन हैै।
अक्षद को उसकी इस अविश्वसनीय जानकारी के लिए नोबेल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड 20-22 के सिटी ऑफ नोबेल विश्व रिकॉर्ड के लिए चुना गया। इसके लिए अक्षद पंडित को 25 हजार रुपये का पुरस्कार भी दिया गया। अक्षद काे एनाउंसमेंट करने के साथ गायन में भी महारथ हासिल है।