भारत खुद बनाएगा पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के लिए 120 किलो न्यूटन का इंजन

 रक्षा मंत्री इस महीने के अंत में इंजन के विकास परियोजना की समीक्षा करेंगे

– शुरू में कुल चार प्रोटोटाइप बनाए जाएंगे, जिनकी पहली उड़ान 2024 में होगी

नई दिल्ली, 13 जून (हि.स.)। पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) के लिए भारत 120 किलो न्यूटन का इंजन विकसित करेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस महीने के अंत में लड़ाकू जेट के लिए इंजन के विकास परियोजना की समीक्षा करेंगे। फ्रांसीसी कंपनी सफ्रान जेट इंजनों की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए 1 बिलियन यूरो से अधिक की मांग कर रही है। अगले 10 साल में यह लड़ाकू जेट भारतीय वायु सेना के सामरिक बेड़े का मुख्य आधार बनेगा।

भारत की सबसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान विमान विकसित करना है। स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस की डिजाइन एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) ने बनाई है। इसलिए उसे ही पांचवीं पीढ़ी के फाइटर एयरक्राफ्ट की डिजाइन बनाने की जिम्मेदारी दी गई। एडीए के साथ मिलकर एयरक्राफ्ट रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर (एआरडीसी) ने इस लड़ाकू विमान की डिजाइन तैयार की है, जिसे वायुसेना की भी मंजूरी मिल गई है। विमान के कई हिस्से पहले ही बनाए जा चुके हैं। अगले दशक के भीतर यह लड़ाकू जेट भारतीय वायु सेना के सामरिक बेड़े की आधारशिला बनेगा।

इसके बाद प्रोटोटाइप विमान का विकास करने के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की मंजूरी लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शुरू में कुल चार प्रोटोटाइप बनाए जाएंगे, जिनकी पहली उड़ान 2024 में होगी। यानी दो साल बाद पांचवीं पीढ़ी का प्रोटोटाइप स्वदेशी लड़ाकू विमान भारतीय आसमान में उतरकर दुश्मनों के बीच नई हलचल पैदा करेगा। इसके बाद वायुसेना के कई परीक्षणों से गुजरने के बाद 2029 में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। वैसे तो 5.5 जनरेशन के लड़ाकू विमान बेहद खास विशेषताओं के कारण महंगे हैं लेकिन भारत का स्वदेशी एएमसीए विदेशी विमानों की तुलना में कम महंगा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) स्वीकृत डिजाइन के आधार पर विमान का निर्माण करेगा।

भारत के सबसे महत्वाकांक्षी विमान के लिए कोई स्वदेशी जेट इंजन नहीं है। इसलिए भारत ने विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करने के साथ ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को बढ़ावा देते हुए एएमसीए के इंजन का निर्माण भी खुद ही करने का फैसला लिया है। 5.5 जनरेशन के विमान को शक्ति देने के लिए 120 किलो न्यूटन के इंजन का विकास किया जाना है। इसके लिए कई विदेशी कंपनियों से बातचीत की गई है। भारत ने एक ब्रिटिश कंपनी के साथ संयुक्त रूप से एक नया इंजन विकसित करने का करार किया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारत की सबसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक ‘इंजन विकास’ परियोजना की इस महीने के अंत में समीक्षा करने वाले हैं। दरअसल, भारत के साथ 2016 में 7.8 बिलियन यूरो के राफेल सौदे पर हस्ताक्षर करते समय फ्रांस ने भारतीय ऑफसेट पॉलिसी के तहत भारत में 50 प्रतिशत या 3.9 बिलियन यूरो का निवेश करने का करार किया था। इसके बावजूद ऑफसेट अनुबंध के हिस्से के रूप में इंजन बनाने की तकनीक अभी तक स्थानांतरित नहीं की गई है बल्कि फ्रांसीसी इंजन कंपनी सफ्रान 1 बिलियन यूरो से अधिक की मांग कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *