कोलकाता, 10 जून (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के पार्क सर्कस इलाके में बांग्लादेश दूतावास की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी ने गुरुवार अपराह्न अचानक अपनी ऑटोमेटिक राइफल से सड़क पर अंधाधुंध फायरिंग की। उसी दौरान सड़क से गुजर रही एक स्कूटी सवार महिला की मौके पर ही मौत हो गई है। सुरक्षाकर्मी ने इसके बाद खुद को भी गोली मार ली जिससे उसकी भी मौत हो गई है।
कोलकाता पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आईपीएस प्रवीण त्रिपाठी ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि फायरिंग करने वाले सुरक्षाकर्मी की पहचान चोदुप लेपचा के तौर पर हुई है। वह कोलकाता पुलिस की आर्म्ड फोर्स में पांचवी बटालियन का जवान था। उसका आईडी नंबर 17462 है। गोली लगने से हावड़ा के दासनगर की रहने वाली रीमा सिंह (28) की मौत हुई है।
त्रिपाठी ने कहा कि हम लोग सीसीटीवी फुटेज देख रहे हैं और प्रत्यक्षदर्शियों से भी बात कर रहे हैं ताकि पूरी घटना को समझ सकें। फायरिंग करने वाला जवान संभवतः डिप्रेशन में था लेकिन फिलहाल इस बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है। उसके परिवार के सदस्यों से भी बात की जाएगी। पता चला है कि छुट्टी के बाद आज ही जवान ड्यूटी पर लौटा था और उसे लाल बाजार स्थित कोलकाता पुलिस मुख्यालय से बांग्लादेश दूतावास की सुरक्षा के लिए भेजा गया था।
क्या कहा प्रत्यक्षदर्शियों ने
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया है कि जवान ने दोपहर करीब 2.30 बजे करीब 10-15 राउंड फायरिंग की। कम से कम दो गोलियां एक कार में, एक पेड़ के तने में और एक राहगीर के पास से निकल गई। अन्य गोलियों से स्कूटी सवार महिला क्षत-विक्षत होकर सड़क पर गिर पड़ी थी जबकि घटना के बाद जवान ने खुद को भी गोली मार ली। कूल्हे में गोली लगने से घायल हुए एक व्यक्ति का कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है।
प्रत्यक्षदर्शी अराफत मोल्ला ने बताया कि पुलिस का जवान बंदूक पकड़े गली से बाहर आया और जोर-जोर से चिल्ला रहा था। वह बीच सड़क पर खड़ा हो गया और फायरिंग करने लगा। हमने शुरू में सोचा था कि वह एक नकली बंदूक के साथ मजाक कर रहा है, लेकिन दो गोलियां हमारे बगल में एक कार को लगीं और एक मेरे भाई को लगभग छूती हुई निकल गई। इसके बाद हम लोग बचने के लिए इधर-उधर भागे और छुप गए।
एक अन्य चश्मदीद प्राइवेट कार के ड्राइवर बाबूराम हलदर ने कहा कि वह अपनी कार पार्क करके फुटपाथ पर बैठा था, तभी उसने देखा कि पुलिस की वर्दी में एक आदमी अंधाधुंध फायरिंग कर रहा था। मुझे लगा कि वह अपनी बंदूक का परीक्षण कर रहा है लेकिन तभी गोली लगने के बाद खून से लथपथ होकर एक महिला को सड़क पर गिरते देखा। इसके बाद उसने बंदूक को उस ओर घुमाया जहां मैं खड़ा था और ऐसा लग रहा था कि वह मुझे निशाना बना रहा है। मैं तुरंत दो खड़ी कारों के पीछे भाग गया। क्षण भर बाद मैंने और गोलियों की आवाज सुनी और मुड़कर देखा तो फायरिंग करने वाला जवान भी गोली लगने की वजह से क्षत-विक्षत होकर मृत पड़ा था।
स्थानीय लोगों ने कहा कि इस इलाके में स्थानीय लोगों और बाहर के लोगों की भारी भीड़ रहती है। अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र होने की वजह से शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए अधिकतर लोग पास की मस्जिद में गए हुए थे। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा कि अगर फायरिंग कुछ देर बाद होती तो और भी मौतें हो सकती थीं। लालबाजार के साथ-साथ स्थानीय पुलिस थानों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक बड़ी टीम मौके पर पहुंच गई है और शवों को हटाकर मामले की जांच शुरू कर दी है।