वाराणसी, 08 जून (हि.स.)। ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के राग-भोग एवं पूजा-अर्चना को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से दाखिल याचिका को वाराणसी जिला अदालत ने बुधवार को खारिज कर दी। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने याचिका को निरस्त करते हुए कहा कि वादी ग्रीष्मावकाश के बाद नया वाद दाखिल करने के लिए स्वतंत्र है।
जिला जज डॉ. विश्वेश ने कहा कि शिवलिंग बरामद होने की जानकारी 16 मई को ही हो गई थी। ऐसे में 31 मई तक वाद दाखिल नहीं किया गया। ऐसे में ग्रीष्मावकाश में आवेदन दाखिल करना वाद की अर्जेंसी नहीं है। विगत मंगलवार को इस मामले में जिला अदालत में सुनवाई हुई थी। वादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने करीब आधे घंटे तक दलीलें दीं। अदालत ने सुनवाई के बाद फैसला आज तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।
ज्योतिष एवं द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य जगद्गगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अपने अधिवक्ताओं के जरिये प्रभारी जिला जज की कोर्ट में अर्जेंट नेचर की याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा, स्नान, शृंगार और राग-भोग का अधिकार तत्काल दिया जाए। अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से यूपी सरकार, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और अन्य को पक्षकार बनाया गया था। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने अदालत में कहा था कि याचिका में जो याचना की गई है वह अर्जेंट नेचर का है। आदि विश्वेश्वर के राग-भोग और पूजन-अर्चन को प्रतिवादियों ने रोक दिया है।