आरबीआई को 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 फीसदी रहने के अनुमान

नई दिल्ली/मुंबई, 08 जून (हि.स.)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए रेपो रेट को बुधवार को 0.50 फीसदी बढ़ाकर 4.90 फीसदी कर दिया। साथ ही रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद यह जानकारी दी। इससे पहले 04 मई को भी आरबीआई ने अचानक प्रमुख नीतिगत दर में 0.4 फीसदी की वृद्धि की थी।

आरबीआई गवर्नर ने समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आम सहमति से नीतिगत दर में 0.50 फीसदी वृद्धि का फैसला हुआ है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में महंगाई दर 6 फीसदी से ऊपर 6.7 फीसदी रहने की आशंका है।

शक्तिकांत दास ने बताया कि बैठक में स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) में भी 0.50 फीसदी बढ़ोतरी का फैसला लिया गया है। इस बढ़ोतरी के बाद एसडीएफ अब 4.15 फीसदी से बढ़कर 4.65 फीसदी हो गया है। इसी तरह मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) को भी 0.50 फीसदी का इजाफा किया गया है, जो 4.65 फीसदी से बढ़कर 5.15 फीसदी हो गई है।

क्या होता है रेपो रेट

रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। ऐसे में रेपो रेट कम होने का मतलब होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे, जबकि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट के ठीक विपरीत होता है।

उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने पिछले महीने ही रेपो रेट और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में अचानक बढ़ोतरी कर सबको अचंभित कर दिया था। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था, जबकि सीआरआर में 0.50 फीसदी बढ़ाकर 4.5 फीसदी कर दिया था।

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