धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रपति के भाषणों के संकलन ‘लोकतंत्र के स्वर’ का किया विमोचन
नई दिल्ली, 08 जून (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को राष्ट्रपति के भाषणों के संकलन ‘लोकतंत्र के स्वर’ और अंग्रेजी संस्करण ‘द रिपब्लिकन एथिक’ के खंड चार का विमोचन किया। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने हिंदी और अंग्रेजी में ई-पुस्तकों का भी विमोचन किया।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बच्चों में बढ़ती विकृतियों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में इसका समाधान है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप बताया है। राष्ट्रपति ने सब को समतुल्य शिक्षा प्रदान करने की जरूरत बताई। देश में स्टार्ट-अप्स, यूनिकॉर्न की संख्या बढ़ती जा रही है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन देश की 130 करोड़ जनता के लिए आस्था का मंदिर है। सामान्य घरों से आने वाले लोग आज देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री हैं। राष्ट्रपति ने गंगा को नदी नहीं, भारत के जीवन चरित्र में एक दर्पण बताया।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रकाशन विभाग ने राष्ट्रपति के भाषणों के संकलन को प्रकाशित किया है। राष्ट्रपति के 38 भाषणों को 8 वर्गों में बांटा गया है। पुस्तक कई क्षेत्रों में राष्ट्रपति के विचारों को प्रस्तुत करती है। पुस्तक हमें विविध विषयों पर उनके प्रेरक विचारों से अवगत कराती है।
उन्होंने कहा कि हमारा देश एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और उसे हम आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं। हमारी अरबों की आबादी की आशा, आकांक्षा और नवाचार के कारण ही हम हर क्षेत्र में बड़ी प्रगति कर रहे हैं। आजादी का अमृत महोत्सव उम्मीद का समय है। राष्ट्रपति ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार साझा किए हैं। राष्ट्रपति ने आज के भारत की आकांक्षाओं पर बात की है।