नई दिल्ली, 4 जून (हि.स.)। देश में जिलेवार अल्पसंख्यक के निर्धारण की मांग को लेकर धर्म गुरु देवकीनंदन ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुके हैं। इसके बावजूद वे अपने पसंद के शैक्षणिक संस्थान नहीं खोल सकते हैं। हालांकि संविधान अल्पसंख्यकों को ये अधिकार देता है।
याचिका में जिन 9 राज्यों में हिन्दुओं के अल्पसंख्यक होने का हवाला दिया गया है उनमें लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि लद्दाख में 1 फीसदी, मिज़ोरम में 2.75 फीसदी, लक्षद्वीप में 2.77 फीसदी, कश्मीर में 4 फीसदी, नगालैंड में 8.74 फीसदी, मेघालय में 11.52 फीसदी, अरुणाचल में 29 फीसदी, पंजाब में 38.49 फीसदी और मणिपुर में 41.29 फीसदी हिन्दू आबादी है।
याचिका में मांग की गई है कि संविधान के अनुच्छेद 20 और 30 के तहत अल्पसंख्यकों की पहचान कर उन्हें लाभ देने की बात कही गई है। इसके लिए जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान की जानी चाहिए। याचिका में 1993 के उस नोटिफिकेशन को मनमाना बताया गया है जिसके तहत मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक कहा गया है। ये नोटिफिकेशन संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 29 और 30 का उल्लंघन है। याचिका में राष्ट्रीय अल्पसंख्य आयोग अधिनियम की धारा 2(सी) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। इस कानून के तहत केंद्र सरकार के पास अल्पसंख्यक घोषित करने का अधिकार है।