Dipankar Sinha : और भयानक दुर्घटना का गवाह बन सकता था नजरुल मंच : दीपंकर सिन्हा

गायक केके की मौत को लेकर जाने-माने आर्किटेक्ट एवं केएमसी के पूर्व डीजी से खास बातचीत

कोलकाता, 02 जून (हि.स.)। कोलकाता में बालीवुड सिंगर केके की मौत को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगातार सामने आ रही हैं। खासतौर पर नजरुल मंच (जिस सभागार में केके का शो आयोजित किया गया) की अव्यवस्था को लेकर काफी बातें हो रही हैं।

इस संबंध में वस्तुस्थिति जानने के लिये हिन्दुस्थान समाचार ने जाने-माने आर्किटेक्ट एवं कलकत्ता नगर निगम के पूर्व महानिदेशक (टाउन प्लानिंग) दीपंकर सिन्हा से बात की। सिन्हा ने केके की मौत के लिए सीधे तौर पर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए आशंका जताई कि मंगलवार को घटनास्थल पर और भी भयंकर घटना घट सकती थी।

उन्होंने कहा कि ‘कोलकाता के नज़रुल मंच में परफॉर्म करने के बाद एक कलाकार की अचानक हुई मौत ने हमारे लिए कई सवाल खड़े कर दिए हैं।निश्चित रूप से यह बड़ा सवाल है कि इस घटना की जिम्मेदारी किसकी होनी चाहिये? कंसर्ट में शामिल कुछ लोगों ने जिस तरह से सोशल मीडिया पर घटना का विवरण दिया है, वह यदि सत्य है तो क्या देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले कोलकाता का सिर शर्म से नहीं झुकेगा?

कार्यक्रम स्थल की अव्यवस्था पर उन्होंने कहा कि जिन्हें नजरुल मंच के संचालन के लिए नौकरी पर रखा गया है उनके पास प्रेक्षागृह के संचालन की ट्रेनिंग है या नहीं? केके ने बार-बार गर्मी और असहज स्थितियों की शिकायत की। एक वीडियो में भी उन्हें एसी बंद होने का संकेत करते हुए देखा जा सकता है।

यदि किसी प्रेक्षागृह में भीड़ तीन-चार गुना बढ़ जाती है, तो हॉल में सौ प्रतिशत ताजा हवा आने पर भी ऑक्सीजन की कमी पूरी नहीं होती। अगर कुछ लोग सभागार के तापमान में वृद्धि के लिये दरवाजा खुला रहने की दलील देकर दोष छिपाना चाहते हैं, तो मैं कहूंगा कि सभागार में एयर कंडीशनिंग सिस्टम वैज्ञानिक तरीके से लगाने के साथ हॉल के वायु नियंत्रण व्यवस्था भी जुड़ी होती है। दरवाजे के पास एक हवादार परदा या उच्च दबाव वाली ठंडी हवा का एक अदृश्य पर्दा होना चाहिए। इस पर्दे का काम दरवाज़ा खोलने पर भी हॉल में मौजूद ठंडी हवा को नियंत्रित रखना है। क्या यह व्यवस्था वहां की गई थी? हॉल के शिक्षित और अनुभवी एयर कंडीशनर ऑपरेटर की जिम्मेदारी है कि भीड़ अधिक होने पर हवा में ऑक्सीजन युक्त हवा की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए। क्या ऐसा कोई अनुभवी या शिक्षित व्यक्ति वहां नहीं था?

भीड़ को नियंत्रित करने के लिये आग बुझाने वाली गैस के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताते हुए दीपंकर सिन्हा ने कहा कि “याद रखें कि जो गैस आग को बुझा देती है, लोग उस गैस में सांस नहीं ले सकते। इसमें तेजी से दम घुटने की आशंका रहती है। क्या उन्हें (प्रशासन को) नहीं पता था कि भीड़ में इस गैस के इस्तेमाल का नतीजा कितना भयावह हो सकता है? केके जैसे कलाकार शो के दौरान स्टेज पर काफी एक्टिव रहते हैं और तरह-तरह के पोज देने के लिए काफी मेहनत करते हैं। उन्हें मंच पर अधिक वायु आपूर्ति की आवश्यकता है, क्या किसी को यह पता था? ऑक्सीजन की कमी होने पर जब हवा में जहरीला धुआं मिल जाता है तो मेहनत कर रहे व्यक्ति के अचानक दम घुटने की आशंका रहती है। अंग्रेजी में इसे ”सीजर” कहते हैं।

उन्होंने कहा कि कार्यक्रम की दौरान नजरूल मंच में जिस तरह की अफरातफरी की स्थिति बनी थी उसमें यदि भगदड़ मच जाती तो दम घुटने से कई लोगों की मौत हो सकती थी। उन्होंने कहा कि केके की मौत और ऐसी खतरनाक स्थिति पैदा करने की जिम्मेदारी से आयोजक और नजरुल मंच प्रबंधन बच नहीं सकते। जनसंहार करने या जनसंहार की स्थिति पैदा करने की सजा में ज्यादा अंतर नहीं है। दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिये। उन्हें जिम्मेदारियों से बचने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *