-अब तक बाढ़ एवं भूस्खलन से 28 लोगों की मौत
गुवाहाटी, 26 मई (हि.स.)। असम पिछले चौदह दिनों से (13 मई से) भयंकर बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति का सामना कर रहा है। हालांकि समय गुजरने के साथ ही हालात धीरे-धीरे अब बेहतर हो रहे हैं। इसके बावजूद अभी भी दर्जनों जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के बुलेटिन के अनुसार गुरुवार की सुबह 08 बजे तक नगांव जिला के धर्मतुल में कपिली नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। शेष नदियां खतरे के निशान से नीचे बह रही हैं।
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से गुरुवार की सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान 15 जिलों यानी बरपेटा, कछार, दरंग, डिमा-हसाउ, ग्वालपारा, गोलाघाट, हैलाकांदी, होजाई, कामरूप, कामरूप (मेट्रो), कार्बी आंगलोंग पश्चिम, करीमगंज, मोरीगांव, नगांव और शोणितपुर में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। किसी भी जिले में भूस्खलन की कोई घटना नहीं हुई है।
15 जिलों के कुल 37 राजस्व मंडल के 1,073 गांव बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं से प्रभावित अभी भी हैं। लगभग 5.75 लाख लोग प्रभावित हुए, जिनमें से 72,698 लोग 310 राहत शिविरों में शरण लिये हुए हैं। राहत शिविरों में आश्रय नहीं लेने वाले अन्य प्रभावित लोगों को भी 112 राहत वितरण केंद्रों के माध्यम से राहत सामग्री वितरित की जा रही है।
एनडीआरएफ, भारतीय सेना, नागरिक सुरक्षा, अर्धसैनिक बल, भारतीय वायु सेना, डब्ल्यूआरडी, एसडीआरएफ, अग्निशमन और ईएस कर्मियों, पुलिस बलों, एएसडीएमए के एएपीडीए मित्र स्वयंसेवकों आदि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित निकालने में जिला प्रशासन की मदद कर रहे हैं।
उक्त बलों एवं एजेंसियों के द्वारा अब तक 26,599 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। इस मौसम में 6 अप्रैल से अब तक बाढ़ और भूस्खलन के कारण कुल 28 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
भारतीय वायु सेना ने गुवाहाटी, जोरहाट और सिलचर से 20 शटल/हेलीकॉप्टरों के ट्रिप के माध्यम से चावल, दाल, सरसों का तेल, आलू प्याज आदि जैसी आवश्यक आपूर्ति को सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र, जहां पर यातायात के साधन पूरी तरह से ठप हो गये हैं, वहां पर एयरड्रॉप कर दिया है। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना की मदद से लगभग 8,000 लीटर डीजल भी पैकेटों में ऐसे स्थानों पर गिराए गए हैं।
अब तक भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से हाफलोंग के साथ-साथ हरंगाजाओ, खेपरे, लाइसोंग, हाजादिसा जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों में 50.6 मीट्रिक टन खाद्य वस्तुएं प्रदान की गई हैं। एएसडीएमए के सहयोग से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) डिमा हसाउ जिले में शीघ्र ही आपदा के बाद की जरूरत का आकलन (पीडीएनए) शुरू करने जा रहा है ताकि जिले में लोगों की मौजूदा जरूरतों का आकलन किया जा सके।
वर्तमान बाढ़ एवं भूस्खलन की स्थिति से निपटने के लिए आपातकालीन संचार उद्देश्यों के लिए बराक घाटी के जिलों को 20 मेगा फोन प्रदान किए गए हैं।