नई दिल्ली, 25 मई (हि.स.)। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासीन मलिक को उम्रकैद और 10 लाख जुर्माना की सजा सुनाई है। एनआईए कोर्ट के स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने ये फैसला सुनाया।
बुधवार शाम फैसला सुनाने से पहले पूरे कोर्ट परिसर की डॉग स्क्वायड से जांच कराई गई। उसके बाद यासीन मलिक को कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच कोर्ट रूम में पेश किया गया। आज सुनवाई के दौरान एनआईए ने यासीन मलिक की फांसी की सजा की मांग की। एमिकस क्यूरी ने न्यूनतम सजा की मांग की। सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने कहा कि वो कुछ नहीं मांगेगा, कोर्ट को जो फैसला करना है, करे।
कोर्ट ने यासीन मलिक को 19 मई को दोषी करार दिया था। 10 मई को यासीन मलिक ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था। 16 मार्च को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।
एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।
एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेनदेन किया। इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।