Ram Temple : राष्ट्र की एकता अखण्डता को पुष्ट करने के साथ सामाजिक समरसता का संदेश देगा राम मंदिर

अयोध्या, 23 मई (हि.स.)। राम मंदिर के गर्भगृह क्षेत्र के अंदर राजस्थान की मकराना पहाड़ियों के सफेद संगमरमर लगाया जाएगा। इन दिनों मकराना संगमरमर की नक्काशी का कार्य प्रगति पर है। इसलिए नक्काशीदार संगमरमर के ब्लॉक भी अयोध्या पहुंचने लगे हैं।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने बताया कि बहुत शीघ्र गर्भगृह और उसके आसपास नक्काशीदार बलुआ पत्थरों को रखना प्रारम्भ होगा। प्लिंथ का काम और नक्काशीदार पत्थरों की स्थापना एक साथ जारी रहेगी। राजस्थान के भरतपुर जिले में बंसी-पहाड़पुर क्षेत्र की पहाड़ियों से गुलाबी बलुआ पत्थरों का उपयोग मंदिर निर्माण में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर में करीब 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। राजस्थान में सिरोही जिले के पिंडवाड़ा कस्बे में नक्काशी स्थल से नक्काशीदार पत्थर अयोध्या पहुंचने लगे हैं।

सामाजिक समरसता का संदेश देगा राम मंदिर

अयोध्या में राम जन्म भूमि स्थल पर बन रहा भव्य राम सामाजिक समरसता का संदेश देगा। इसके लिए मंदिर परिसर के 70 एकड़ क्षेत्र के भीतर भगवान वाल्मीकि, केवट, माता शबरी, जटायु, माता सीता, विघ्नेश्वर (गणेश) और शेषावतार (लक्ष्मण) का मंदिर भी बनाया जायेगा। इन मंदिरों का निर्माण मुख्य मंदिर के परकोटा के बाहर मंदिर के आसपास के क्षेत्र में बनाया जायेगा।

राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुनिश्चित करेगा राम मंदिर

चंपत राय ने कहा कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण समग्र, परोपकारी और समकालिक संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की रक्षा, संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक कार्य है। यह देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुनिश्चित करेगा। आने वाली पीढ़ियां इसे सांस्कृतिक स्वतंत्रता और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए अग्रणी कार्य के रूप में देखेंगी।

परकोटा-आच्छादित बाहरी परिक्रमा मार्ग

मंदिर निर्माण क्षेत्र और उसके प्रांगण के क्षेत्र सहित कुल 8 एकड़ भूमि को घेरते हुए एक आयताकार दो मंजिला परिक्रमा मार्ग परकोटा बनेगा। इसी के पूर्व भाग में प्रवेश द्वार होगा। इसे भी बलुआ पत्थर से बनाया जाएगा। यह परकोटा भीतरी भूतल से 18 फीट ऊंचा है और चौड़ाई में 14 फीट होगा। इस परकोटा में भी 8 से 9 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग होगा।

मंदिर के चारों ओर मिट्टी के कटान को रोकने और भविष्य में संभावित सरयू बाढ़ से बचाने के लिए दक्षिण , पश्चिम और उत्तर में रिटेनिंग वॉल का निर्माण भी चल रहा है।

प्रथम चरण में एक तीर्थ सुविधा केंद्र लगभग 25,000 तीर्थयात्रियों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करेगा। इसे पूर्व की दिशा में मंदिर पहुंच मार्ग के निकट बनाया जाएगा।

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