नई दिल्ली, 19 मई (हि.स.)। भारत चीन और रूस सहित पांच देशों के संगठन ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों की बैठक गुरुवार को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए संपन्न हुई। ब्रिक्स संगठन की चीन में आयोजित होने वाली शिखरवार्ता के पहले भारत, चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्रियों ने सहयोग के एजेंडे पर विचार-विमर्श किया। ब्रिक्स शिखरवार्ता की तिथि अभी तय नहीं है। इसमें प्रधानमंत्री मोदी को भी भाग लेना है।
यूक्रेन के संकट के बीच आयोजित गुरुवार की बैठक में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीन के विदेश मंत्री वांग यी, ब्राजील क विदेश मंत्री और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री ने भाग लिया। बैठक के बाद विदेश सचिव ने विचार-विमर्श के प्रमुख बिन्दूओं की जानकारी देते हुए ट्वीट के जरिए बताया कि उन्होंने यूक्रेन संघर्ष के कारण ऊर्जा, खाद्यान और अन्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी का मुद्दा उठाया। भारत चाहता है कि इससे विकासशील देशों पर पड़ने वाले प्रभावों को रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
यूक्रेन के घटनाक्रम के संबंध में जयशंकर ने कहा कि ब्रिक्स ने हमेशा विभिन्न देशों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, अंतरराष्ट्रीय कानून और समानता की वकालत की है। ब्रिक्स को अपनी इन प्रतिबद्धताओं पर कायम रहना चाहिए। साथ ही ब्रिक्स को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग को पुरजोर तरीके आगे बढ़ाना चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि कोविड महामारी के मद्देनजर सामाजिक व आर्थिक बहाली के साथ ही हमें टिकाऊ और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला कायम करनी चाहिए।
विदेश मंत्री ने बैठक में जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर भारत का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों को जलवायु परिवर्तन संबंधी कार्ययोजना और जलवायु न्याय के लिए विकसित देशों द्वारा आवश्यक संसाधन मुहैया कराने पर भी जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए समग्र रवैया अपनाने की जरूरत है। उन्होंने एक दूसरे के साथ जुड़ी आज की डिजिटल निर्भरता वाली दुनिया में आपसी विश्वास और पारदर्शिता की बहुत आवश्यकता है।
जयशंकर ने बैठक में आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों को आतंकवाद विशेषकर सीमापार आतंकवाद के संबंध में कतई बर्दाश्त न करने (जीरो टॉलरेंस) की नीति अपनानी चाहिए।