J P Nadda: भाई-बहन की पार्टी बनकर रह गई है कांग्रेसः नड्डा

नई दिल्ली, 19 मई (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार को एक परिवार द्वारा संचालित राजनीतिक दलों पर प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस भी अब राष्ट्रीय दल नहीं है, भाई-बहन की पार्टी बन कर रह गई है।

उन्होंने कहा कि पारिवारिक दलों का उद्देश्य केवल सत्ता हासिल करना होता है। ऐसे दलों की कोई विचारधारा नहीं होती और इनके द्वारा चलाए गए कार्यक्रम भी लक्ष्य विहीन होते हैं।

यहां नेहरू मेमोरियल ऑडिटोरियम में रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी की ओर से ‘लोकतांत्रिक शासन के लिए वंशवादी राजनीतिक दलों का खतरा’ विषय पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि कांग्रेस भी अब न तो राष्ट्रीय रह गई है, न भारतीय और न ही प्रजातांत्रिक पार्टी रह गई है, ये केवल भाई-बहन की पार्टी बनकर रह गई है।

देश के तमाम क्षेत्रीय दलों की फेहरिस्त गिनाते हुए नड्डा ने कहा कि जम्मू कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ( पीडीपी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल, हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बिहार में राजद, पश्चिम बंगाल में दीदी- भतीजे की पार्टी (तृणमूल कांग्रेस) है, झारखंड में बाबू जी के बुजुर्ग होने के बाद बेटे ने (झारखंड मुक्ति मोर्चा) पार्टी संभाल ली। ओडिशा में बीजू जनता दल, आंध्रप्रदेश में वाईएसआरसीपी, तेलंगाना में टीआरएस, तमिलनाडु में द्रमुक करुणानिधि परिवार, महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी ये सब परिवार की पार्टियां हैं।

उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय पार्टियों को किसी भी तरह से सत्ता में आना होता है इसलिए ये ध्रुवीकरण में भी पीछे नहीं रहते हैं। फिर ध्रुवीकरण चाहे जाति के आधार पर हो या धर्म के आधार पर।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि क्षेत्रीय दलों द्वारा राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को ताक पर रख दिया जाता है और सत्ता को पाने के लिए ध्रुवीकरण किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि क्षेत्रीय पार्टियों में धीरे धीरे कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। अब उन क्षेत्रीय पार्टियों में विचारधारा किनारे हो गई और परिवार सामने आ गए। इस तरह से क्षेत्रीय पार्टियां, परिवारवादी पार्टियों में बदल गई हैं।

नड्डा ने कहा कि लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की महत्ता का जिक्र करते हुए कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल महत्वपूर्ण उपकरण है। अगर वह स्वस्थ हो तो प्रजातंत्र स्वस्थ है। अगर वो अस्वस्थ है तो प्रजातंत्र अस्वस्थ है। इससे धीरे-धीरे प्रजातांत्रिक व्यवस्था पर आघात पहुंचने लगता है। पार्टी का स्वास्थ्य कैसा है, उसके सिस्टम कैसे हैं, ये सब बहुत महत्वपूर्ण है। इस महत्व को समझते हुए हमें ये ध्यान रखना होगा कि हमारे लोकतांत्रिक मूल्य क्या हैं, नेताओं के बीच संबंध क्या हैं, संगठन की विचार प्रक्रिया क्या है ।

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