नई दिल्ली, 18 मई (हि.स.)। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स के लिए नेशनल इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट (एनईएलएस) पाठ्यक्रमों की शुरुआत की। इसका मकसद भारतीय संदर्भ के अनुकूल आपातकालीन जीवनरक्षक सेवाएं प्रदान करना है।
इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि अब तक, देश में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को विदेशी मॉड्यूल और सशुल्क पाठ्यक्रमों पर निर्भर रहना पड़ता था, जो महंगे होने के साथ-साथ हमारे जनसंख्या परिदृश्य की जरूरतों और प्राथमिकताओं को सीमित तरीके से पूरी करते थे। प्रधानमंत्री की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति को साकार करते हुए, डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स के प्रशिक्षण के लिए यह मानकीकृत पाठ्यक्रम देश में ही विकसित आपातकालीन जीवनरक्षक सेवाएं प्रदान करता है।
डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि यह समय की मांग है कि देश के किसी भी हिस्से में दुर्घटना, आपात स्थिति या आघात से पीड़ित किसी भी व्यक्ति की देखभाल के लिए प्रौद्योगिकी सक्षम कुशल, पेशेवर और एकीकृत प्रणाली का निर्माण होना चाहिए। साल 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पर चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि इसमें एक एकीकृत आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली के निर्माण की परिकल्पना की गई है, जो एक समर्पित सार्वभौमिक पहुंच संख्या से जुड़ी है, जिसमें आपातकालीन देखभाल, लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस और आघात प्रबंधन केंद्रों का प्रावधान है।
डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि देश में सभी प्रकार की चिकित्सा आपात स्थितियों के कारण होने वाली मृत्यु दर को कम करने के लिए मानकीकृत जीवन रक्षक कौशल के साथ-साथ अस्पताल पूर्व देखभाल प्रदान करने वाले चिकित्सा सहायकों को भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।