उदयपुर/नई दिल्ली, 15 मई (हि.स.)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि पार्टी नेताओं को अब आंतरिक नहीं बाह्य मामलों पर ध्यान देना होगा और जनता के बीच जाकर लोगों से जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी ने फैसला लिया है कि अक्टूबर में पार्टी जनता के बीच जाएगी उनसे जुड़ेगी। इसके लिए सभी को अपना पसीना बहाना होगा।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर के अंतिम दिन अपने संबोधन में एक तरफ मोदी सरकार, उसकी आर्थिक नीतियों के साथ देश के संस्थानों और मीडिया के हाल पर अपने विचार रखे। साथ ही उन्होंने पार्टी नेताओं को आंतरिक गतिरोध से ऊपर उठने का संदेश दिया। इसके अलावा पार्टी की रचना में युवा चेहरों को आगे लाने की बात कही। उन्होंने पार्टी को फिर से ऊर्जा देने के लिए चिंतन शिविर से निकले विचारों को भी अपने भाषण में स्थान दिया।
राहुल गांधी ने कहा कि उनकी लड़ाई देश में नफरत फैलाने वाली भाजपा-आरएसएस की विचारधारा से है। वह इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि उनके देश में इतना क्रोध और हिंसा फैल सकती है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल एक राजनीतिक दल से नहीं है बल्कि बहुत से संस्थानों से भी है और क्रोनी कैप्टलिजम से भी है। राहुल ने कहा,“ वह इन शक्तियों से डरते नहीं है और इनसे बिना डरे लड़ेंगे। मैंने भारत माता से एक पैसा नहीं लिया है। इस लड़ाई में वह पार्टी के नेताओं के साथ खड़े हैं। मैं अपने नेताओं संग भाजपा-आरएसएस की विचारधारा से जीतकर रहूंगा।”
इस मौके पर राहुल गांधी ने कहा कि देश में भाजपा का एकमात्र विकल्प कांग्रेस पार्टी है। क्षेत्रीय पार्टियों का अपना-अपना एजेंडा और वोट बैंक है लेकिन कांग्रेस विचारधारा की लड़ाई लड़ रही है। भाजपा की विचारधारा की लड़ाई का मुकाबला केवल कांग्रेस पार्टी ही कर सकती है। उन्होंने कहा कि भाजपा देश के संस्थानों में अपने लोगों बिठा रही है और उससे आने वाले समय देश में आग लगने वाली है। यह पार्टी की जिम्मेदारी है कि लोगों को समझाएं कि लोगों को बांटा जा रहा है।