नई दिल्ली, 13 मई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा की सीईओ ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से जारी गैरजमानती वारंट पर लगी रोक को जारी रखने का आदेश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई जुलाई में होगी।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ऋतु माहेश्वरी के कामकाज के तरीके पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को फटकार लगाते हुए कहा कि जमीन लेने के बाद उचित मुआवजा न देना सामान्य बात हो गई है। आप आदेशों का पालन नहीं करते हैं। सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचने के बाद भी आदेश का पालन नहीं किया गया।
मामला नोएडा के सेक्टर 82 का है। 1989 और 1990 में नोएडा अथॉरिटी ने तात्कालिकता के आधार पर भूमि का अधिग्रहण किया। अधिग्रहण के खिलाफ जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया। हाई कोर्ट ने मनोरमा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तात्कालिकता के आधार पर अथॉरिटी की ओर से किए गए अधिग्रहण को रद्द कर दिया और अथॉरिटी को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को सर्किल रेट से दुगुनी दरों पर मुआवजा दिया जाए। अथॉरिटी ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए नोएडा अथॉरिटी को उस आदेश का पालन करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मनोरमा को मुआवजा नहीं दिया गया। तब मनोरमा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर किया ।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अवमानना मामले में पेश नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी किया था। ऋतु माहेश्वरी को हाई कोर्ट ने 4 मई की सुनवाई में हाजिर रहने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने 28 अप्रैल को सुनवाई करते हुए निर्देश दिया था कि मामले की सुनवाई 4 मई को होगी। हाई कोर्ट ने ऋतु माहेश्वरी को 4 मई को खुद कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया था। दरअसल, 28 अप्रैल को भी सुनवाई के दिन भी ऋतु माहेश्वरी कोर्ट में पेश नहीं हुई थीं। 4 मई को सुनवाई के दिन नोएडा अथॉरिटी के वकील ने बताया था कि ऋतु माहेश्वरी ने सुबह 10 बजे की फ्लाइट पकड़ी है। इस पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की और कहा कि उनके खिलाफ अवमानना का मामला बनता है। उसके बाद हाई कोर्ट ने माहेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। इस आदेश के खिलाफ ऋतु माहेश्वरी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।