नई दिल्ली, 12 मई (हि.स.)। देश में बढ़ रही महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक आने वाले दिनों में ब्याज दरों में एक बार फिर बढ़ोतरी कर सकता है। माना जा रहा है कि देश को महंगाई की मार से बचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अगले अगली तीन से चार बैठक में लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का फैसला ले सकती है।
गौरतलब है कि अप्रैल के महीने में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में ब्याज दरों को यथावत रखने का फैसला किया गया था लेकिन जून में होने वाली मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक के 1 महीने पहले ही 4 मई को भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की आपात बैठक बुलाकर रेपो रेट में बढ़ोतरी करने का फैसला किया था।
जानकारों का कहना है कि जून में होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया जा सकता है। हालांकि ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने से अर्थव्यवस्था में डिमांड में कमी आने का खतरा बन सकता है। इसके बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए इस जोखिम का सामना कर सकता है। बताया जा रहा है बाजार में कैश की उपलब्धता को सीमित करके महंगाई पर प्रभावी तरीके से काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक प्राथमिकता के आधार पर कदम उठाते हुए नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का ऐलान कर सकती है।
आर्थिक विश्लेषक मयंक मोहन के मुताबिक कोरोना संक्रमण के भयावह दौर में भारतीय रिजर्व बैंक ने लोगों को राहत पहुंचाने के इरादे से केंद्र सरकार की सलाह पर देश की अर्थव्यवस्था में कैश की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए थे। खुद केंद्र सरकार की ओर से भी कई राहत पैकेजों का ऐलान किया गया था। इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था में कैश की उपलब्धता बढ़ सकी थी। कैश की यही उपलब्धता महंगाई बढ़ने की एक बड़ी वजह भी बनती नजर आने लगी है। यही कारण है कि अब भारतीय रिजर्व बैंक बाजार में कैश की उपलब्धता को सीमित करने के उपाय पर विचार करने लगा है, ताकि महंगाई बढ़ने की एक बड़ी वजह पर लगाम लगाया जा सके।
कुछ जानकारों का कहना है कि दुनिया के कई देशों में मौजूदा समय में स्टैगफ्लेशन का खतरा भी मंडरा रहा है। स्टैगफ्लेशन उस स्थिति को कहा जाता है, जिसमें मुद्रास्फीति की दर देश की आर्थिक विकास दर से अधिक हो जाती है। महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में इजाफा करने से भी स्टैगफ्लेशन का खतरा बढ़ जाता है। फिलहाल दुनिया भर के ज्यादातर देशों में जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है और महंगाई पर काबू पाने के लिए के उन देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का तरीका अपना रहे हैं, उससे ज्यादातर देशों में स्टैगफ्लेशन का खतरा बन गया है।
जानकारों का कहना है कि स्टैगफ्लेशन में अगर महंगाई बढ़ती है, तो इससे अर्थव्यवस्था की गति मंद पड़ सकती है। ऐसा होने पर आमतौर पर लोगों के सामने रोजगार और वास्तविक आय के मोर्चे पर चुनौतियां बढ़ जाती हैं। यही वजह है कि अर्थशास्त्रियों का एक बड़ा दल महंगाई पर काबू पाने के लिए आनन-फानन में ब्याज दरों में की जाने वाली बढ़ोतरी को सही नहीं मानता है। वहीं कुछ अर्थशास्त्रियों का ये भी कहना है कि अभी के दौर में भारत की जैसी स्थिति है, उसमें रिजर्व बैंक को स्टैगफ्लेशन का खतरा होने के बावजूद ब्याज दरों में हल्की बढ़ोतरी करके महंगाई पर काबू पाने की कोशिश करते रहना चाहिए।