इटानगर, 12 मई (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा में चल रही तीन दिवसीय राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत, जोन-III सम्मेलन के दूसरे दिन गुरुवार को पूर्वोत्तर भारत के विकास और योजनाओं पर चर्चा हुई।
सम्मेलन का गुरुवार सुबह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने औपचारिक रूप से उद्घाटन करते हुए सभी सदस्यों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुन्दरता, विविधता, समृद्ध संस्कृति की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश के सभी लोग इस राज्य का याद रखेंगे। उन्होंने पहले हुए राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत, जोन-III सम्मेलन और बैठक को एक फिर से याद दिलाते हुए देश के 75 वर्ष की यात्रा को भी याद किया और डॉ. बीआर अंबेडकर को योगदान को याद करते हुए कहा कि लोकतंत्र को हमें राजनीतिक लोकतंत्र के साथ-साथ सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना का प्रयास करना चाहिए। वर्तमान में हमारे लोकतंत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौती सामाजिक, राजनीतिक है। आर्थिक और कानूनी रूप से अनुकूल माहौल बनाना है, जिसको ठीक करना है और लोगों को भरोसे में लाना है।
उन्होंने पूर्वोतर राज्यों में लंबे समय तक उग्रवाद और आतंकवाद के प्रभाव के संबंध में उन्होंने कहा कि हम प्रकृति लोकतांत्रिक लोकाचार हैं और जितना अधिक लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में शामिल करते हैं, उतना विकास कार्य सही रहेगा। सीपीए एक ऐसा मंच है जहां हम क्षेत्र के भीतर गंभीर मुद्दों पर गहराई से चर्चा और बातचीत में उसे शामिल कर सकते हैं। लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्था को मजबूत करने के लिए काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि भौगोलिक और नैतिक रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र अद्वितीय है लेकिन महत्वपूर्ण समानताओं के साथ है। इन समानताओं और भिन्नताओं को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की योजना और उनके प्रयास के चलते पूर्वोत्तर बहुत ही तेजी के साथ विकास की ओर आगे बढ़ रहा है। इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधानसभा में बने संग्रहालय का भी उद्घाटन किया। राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत, जोन-III सम्मेलन में पूर्वोत्तर के सभी राज्यों से प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।