Border : सरहद पर निगेहबान है बेटियां

जैसलमेर, 9 मई (हि.स.)। देश की आधी आबादी अब घर में चूल्हा चौका और मेहनत मजदूरी करने के अलावा पढ़ लिखकर कुछ नया करने की आकांक्षा लिये पुरुषों के एकाधिकार वाले क्षेत्रों में हाथ आजमाने का माद्दा रखने लगी है। ऐसी ही आकांक्षा रखने वाली बेटियों को सीमा सुरक्षा बल ने अपने परिवार में करीब पंद्रह साल पहले आमंत्रित किया था।

सीमा सुरक्षा बल में पहली बार 2008 में महिला बटालियन बनी थी। राजस्थान सीमा पर तैनात महिला प्रहरी को सबसे पहले श्रीगंगानगर से लगती सीमा पर बने खेतों में आने-जाने वाली महिलाओं की तलाशी में लगाया गया था। करीब पंद्रह साल पहले पहली बार सीमा सुरक्षा बल में महिला प्रहरियों की भर्ती हुई थी।

इन दिनों बल में कार्यरत महिला प्रहरी सरहद की रखवाली पूरी बहादुरी के साथ कर रही है। जैसलमेर से लगती भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इन दिनों आग उगलती गर्मी पड़ रही है और तेज अंधड़ में रेगिस्तान के टीले भी अपना स्थान स्थिर नहीं रख पाते हैं और इन भीषण गर्मियों में उनको भी अपनी जगह बदलनी पड़ती है। ऐसी कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में सरहद की रखवाली का काम भारत की पहली रक्षा पंक्ति सीमा सुरक्षा बल की महिला प्रहरी कर रही है। इन दिनों भीषण गर्मी में भी सरहद पर तारबंदी के पास अपनी चौकस निगाहें बनाए हुए ऊंट पर सवारी और हाथों में हथियार लिए सरहद पार हर नापाक हरकत का मजबूती के साथ जवाब देने के लिए ये महिला प्रहरी हर समय चौकस हो कर ड्यूटी कर रही हैं।

सीमा सुरक्षा बल भी इनकी बहादुरी का लोहा मानती है। इस भीषण गर्मी में भी इनके हौसले और जज्बे को कोई नहीं डिगा पा रहा है। बीएसएफ ने अपने आधिकारिक ट्विट्टर हैंडल पर इन महिला प्रहरियों की बहादुरी की भूरि भूरि प्रशंसा की है।

जैसलमेर से लगते थार के रेगिस्तान में पाकिस्तान से लगती सीमा पर पुरुषों की तरह महिला सिपाही भी पैदल या ऊंटों पर बैठकर गश्त करती हैं। हाथों में भारी हथियार लेकर सरहद पर देश की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही ये बेटियां महिला प्रहरी के नाम से जानी जाती हैं।

ये महिला प्रहरी सीमा पर नाइट पेट्रोलिंग ही नहीं, हर तरह की कॉम्बेट ड्यूटी, हर किसी ऑपरेशन में भी भूमिका निभाने में सक्षम हो चुकी हैं। भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा की विषम भौगोलिक परिस्थितियां भी देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाली बेटियां जो यहां ड्यूटी कर रही हैं, का हौसला नहीं डिगा सकीं। चाहे गर्मी में लू के थपेड़े हों, अधिकतम तापमान हो या हाड़ कंपा देने वाली माइनस डिग्री की सर्दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *