Shivraj Singh : विश्व को शांति-पथ का दिग्दर्शन अद्वैत वेदान्त ही कराएगा : शिवराज सिंह

भोपाल, 6 मई (हि.स.) । जो सत्य को जान लेता है, वह कह उठता है कि सोहम अर्थात मैं वही हूं। सबमें मैं हूं, मुझ में सब है। द्वैत मिट जाता है और सब में अद्वैत का भाव जागृत हो जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को यहां कुशाभाऊ ठाकरे हॉल में आयोजित आचार्य शंकर प्रकटोत्सव कार्यक्रम के दौरान उक्त बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि एक ही चेतना समस्त जड़ एवं चेतन में अनुस्यूत है। श्रृष्टि के कण-कण में भगवान विराजमान हैं। हर एक आत्मा परमात्मा का अंश है। हर घट में वही समाया हुआ है, तो कौन दूसरा है? ईश्वर अंश जीव अविनाशी। सारे भेदभाव तिरोहित हो जायें, सारी दुनिया की उठापटक शांत और मानवता का कल्याण हो जाये, यह संकल्प आदि गुरु शंकराचार्य के दिखाये रास्ते पर चलकर ही सिद्ध होगा।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अप्रैल के महीने में 45-47 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान क्यों हो रहा है? क्योंकि तुमने उनको अपना नहीं माना, उनका ही विनाश कर दिया। उन पेड़ों में भी तो वही है, इसलिए पेड़ों की पूजा की जाती है। ये नदियां हमारे लिए केवल जलवाहिकाएं नहीं हैं, ये हमारे लिए माताएं हैं।

आगे उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी अन्य देश में ऐसा सुनने को नहीं मिलता। “एकम सत्यम विप्रा बहुधा वदन्ति” क्या धरती है यह? क्या देश है यह? क्या विचार है यह? एक ही चेतना सब में विद्यमान है। जीव-जंतु प्राणियों में भी उसी का दर्शन है। गाय पशु नहीं है, हमारी माता है। सोच वही है कि उन्हें भी आत्मभाव से देखो, उनमें भी वही समाया हुआ है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आगे कहा कि भारत के ऋषियों की वाणी है ‘विश्व का कल्याण हो’, जो हजारों साल से गूंज रही है। यही तो एकात्म का सूत्र है और इसी की व्याख्या आदिगुरु शंकराचार्य ने की है। भौतिकता की अग्नि में दग्ध विश्व मानवता को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन अद्वैत वेदान्त ही कराएगा, एकात्म दर्शन ही कराएगा।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आज आदि शंकराचार्य की जयंती पर स्वामी परमात्मानंद जी और अन्य अतिथियों का आगमन महत्वपूर्ण है। शंकराचार्य के दर्शन के अनुरूप समस्त भेदभाव तिरोहित हो जाएं, इसलिए ओंकारेश्वर प्रकल्प का महत्व है।

आगे उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 से हुई प्रकल्प की शुरुआत के बाद अब तेजी से कार्य हो रहे हैं। वर्ष 2019 में तत्कालीन सरकार ने प्रकल्प के कार्यों को जारी रखने के अनुरोध को गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन अब यह प्रकल्प शीघ्र साकार होगा। आदि शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा की स्थापना के लिए धातु संग्रहण का कार्य जन-भागीदारी से हुआ था। एकात्म यात्रा में कलश भर-भर कर सभी सहयोग दे रहे थे। ऐसे महत्वपूर्ण प्रकल्प सिर्फ सरकारों के माध्यम से नहीं, बल्कि जन-जन के सहयोग से पूर्ण होते हैं।

चौहान ने कहा कि आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के प्रयासों को हम सभी मिलकर सफल बनाएंगे। उन्होंने आदि शंकराचार्य द्वारा बाल्य काल से यात्रा प्रारंभ कर, सौ से अधिक ग्रंथ लिखकर अंधकार में खोए तत्कालीन समाज को दिशा दिखाने का कार्य किया। उन्होंने मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। मध्यप्रदेश में इस पवित्र प्रकल्प की पूर्णता के लिए संत समाज का विशेष सहयोग प्राप्त हो रहा है। भौतिकता की अग्नि से निकालकर मानवता का दिग्दर्शन कराने में अद्वैत वेदांत ही एक मात्र उपाय है। यह दर्शन सारे विश्व में फैलेगा।

वहीं, चौहान का कहना रहा कि आज इस कार्यक्रम में स्वामीजी परमात्मानंद सरस्वती राजकोट और स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती, स्वामी वेदतत्वानन्द जी जो न्यास के आवासीय आचार्य भी हैं, उपस्थित हुए। इसके साथ ही केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और दर्शन के विद्वान अम्बिका दत्त शर्मा की गरिमामय उपस्थिति से प्रकटोत्सव सार्थक हुआ है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री चौहान ने प्रतिदिन पौधा लगाने के अपने कार्य का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह स्वयं को जीवन देने का कार्य है। संतों के आशीर्वाद से पर्यावरण को बचाने का कार्य भी हम निष्ठा से करेंगे। इस एकात्म पर्व के आयोजन को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और आर्ष विद्यामंदिर राजकोट के संस्थापक स्वामी परमात्मानंद का भी पाथेय प्राप्त हुआ।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान ने सभी अतिथियों का शाल, श्रीफल और शंकराचार्य की तस्वीर प्रदान कर अभिनंदन किया। उन्होंने कर्नाटक शैली में शंकर संगीत प्रस्तुत करने वाली शास्त्रीय गायिका सुश्री सूर्यागायत्री और गायक एवं संगीतज्ञ राहुल वेल्लाल का भी सम्मान किया।

वहीं, कार्यक्रम के समापन पर मुख्यमंत्री चौहान ने सभी उपस्थित लोगों को आदि गुरु शंकराचार्य की पवित्र स्मृति को साक्षी मानकर मंगलमय विश्व के निर्माण, श्रेष्ठ नागरिक के रूप में आदर्श समाज, उन्नत राष्ट्र बनाने, जीव जगत और ईश्वर के मलभूत एकात्म भाव को मन, वचन और कर्म से आत्मसात करने का संकल्प दिलवाया।

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