Varanasi : वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी और सर्वे का कार्य शुरू

वाराणसी, 06 मई (हि.स.)। न्यायालय के आदेश पर शुक्रवार अपरान्ह श्री काशी विश्वनाथ धाम से सटे ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों की वीडियोग्राफी और सर्वे का काम (कमीशन की कार्यवाही) शुरू हुआ। सिविल जज सीनियर डिवीजन अदालत से नियुक्त कोर्ट कमिश्नर वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने वादी पक्ष के 18 लोगों और प्रतिवादी पक्ष के मौजूदगी में नियमानुसार कमीशन कार्यवाही की।

याचिका दाखिल करने वाली पांचों महिलाओं के दिल्ली निवासी अधिवक्ता शिवम गौड़ ने मीडिया कर्मियों को बताया कि खसरा नंबर 9130 के सर्वे के लिए हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं। इस आदेश में पूरे खसरे के सर्वे का आदेश है। जिसमे सम्पूर्ण ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और श्रृंगार गौरी समाहित है। ऐसे में इतने बड़े क्षेत्र के सर्वे में तीन दिन का समय लग सकता है और यह सर्वे रविवार तक पूरा होने की संभवाना है। अधिवक्ता कमिश्नर अपनी रिपोर्ट तय तिथि 10 मई को न्यायालय में दाखिल करेंगे।

उधर, मस्जिद परिसर में वीडियोग्राफी और सर्वे के लिए जैसे ही अधिवक्ता कमिश्नर कड़ी सुरक्षा के बीच दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं के साथ ज्ञानवापी मस्जिद में पहुंचे ज्ञानवापी क्रासिंग पर विरोध में मुस्लिम पक्ष के युवाओं ने हंगामा के साथ बीच सड़क पर अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाने शुरू कर दिये। जबाब में हर—हर महादेव का नारा लगता देख वहां तनाव की स्थिति हो गई। आसपास की दुकानें भी बंद हो गईं। यह देख पुलिस अफसरों ने फोर्स के साथ नारेबाजी कर रहे युवकों को गलियों में भगा दिया।

इस दौरान मुस्लिम पक्ष के प्रबुद्ध लोग पहुंचे और तत्काल विरोध कर रहे युवकों को वहां समझा कर हटाया। इस मामले में विरोधी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव ने पहले ही कार्यवाही का विरोध करने का ऐलान किया था।

ज्ञानवापी मस्जिद में कमीशन कार्यवाही के पहले जुमे की नमाज अदा करने के लिए लोगों की भारी भीड़ जुट गई। यह देख आसपास के लोग माहौल बिगड़ने की आशंका जताने लगे। लोगों का कहना था कि ईद के नमाज में भी इतनी भीड़ नही जुटी थी। ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए चौक चित्रा सिनेमा के पास से नमाजी कड़ी धूप में कतारबद्ध रहे।

इस बीच एक मुस्लिम महिला ने काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर 4 के समीप नमाज पढ़ना शुरू किया तो हड़कम्प मच गया। पुलिस कर्मियों ने महिला को वहां से किसी तरह हटाया। बाद में पता चला कि महिला मानसिक रूप से बीमार थी।

नमाज अदाकर ज्ञानवापी मस्जिद से लोग शान्तिपूर्वक लौटने लगे तो प्रशासन के साथ लोगों ने भी राहत की सांस ली। बताते चले, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सिविल जज सीनियर डिवीजन अदालत से नियुक्त कोर्ट कमिश्नर वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र मौके पर पक्ष व विपक्ष से 36 सदस्य के साथ सर्वे की कार्यवाही में शामिल हुए।

दिल्ली की राखी सिंह सहित पांच अन्य की तरफ से सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में वाद दाखिल कर श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन व 1991 से पूर्व की स्थिति बहाल करते हुए आदि विश्वेश्वर परिवार के सभी विग्रहों को यथास्थिति में रखने की मांग की गई है। अदालत में सुनवाई के क्रम में आठ अप्रैल 2022 को अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया।

कोर्ट कमिश्नर ने 19 अप्रैल को सर्वे करने की तिथि से अदालत को अवगत कराया। इससे एक दिन पहले 18 अप्रैल को जिला प्रशासन ने शासकीय अधिवक्ता के जरिए याचिका दाखिल कर वीडियोग्राफी व फोटोग्राफ पर रोक लगाने की मांग की। 19 अप्रैल को दूसरा पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने भी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रोकने की गुहार लगायी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा। 20 अप्रैल को निचली अदालत ने भी सुनवाई पूरी की। 26 अप्रैल को निचली अदालत ने ईद के बाद सर्वे की कार्यवाही छह व सात मई को शुरू करने का आदेश दिया था ।

कमीशन की कार्रवाई के दौरान निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं की टीम और वादी पक्ष से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन, पंकज गुप्ता व शिवम गौड़ भी मौजूद रहे। सर्वे और वीडियोग्राफी साक्ष्य आदि के संबंध में सुरक्षित स्थान अधिवक्ता आयुक्त को पुलिस ने उपलब्ध कराया। खुद पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाली थी। काशी विश्वनाथ धाम परिक्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। खुफिया तंत्र ने भी पूरा जाल बिछा दिया था।

खास बात यह है कि वाद में प्रदेश सरकार के अलावा जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पक्षकार बनाया गया है। न्यायालय के निर्देश पर सर्वे के पूरे काम को गोपनीयता के साथ कराया जा रहा है। सर्वेक्षण स्थल पर आम जनता और मीडिया को प्रवेश की अनुमति नहीं है। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस पूरे सर्वे का खर्च उठाने का आदेश दिया है।

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