नई दिल्ली, 3 मई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों की आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते वक्त सांकेतिक भाषा के जरिये समझाने वाले दुभाषिया उपलब्ध कराने की मांग करने वाली याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सांकेतिक भाषा के जरिये समझाने वाले दुभाषिया उपलब्ध कराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली बेंच ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया।
दरअसल, यह याचिका दिव्यांगों के अधिकार के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता और वकील एम कारपागम ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्तियां काफी महत्वपूर्ण होती हैं। यह प्रेस विज्ञप्तियां देश में चल रही गतिविधियों के बारे में लोगों में जागरुकता फैलाने और शिक्षित करने वाली होती हैं। याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री और दूसरे केंद्रीय मंत्रियों समेत राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति ऐसी होनी चाहिए कि उसे दिव्यांग लोग भी समक्ष सकें। इसके लिए सांकेतिक भाषा के जरिये समझाने वाले दुभाषिया भी प्रेस ब्रीफिंग से समय मौजूद होने चाहिए। सांकेतिक भाषा उन लोगों के लिए जरूरी होती है, जो सुन या बोल नहीं सकते हैं।
याचिका में कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव ने करीब-करीब रोजाना टीवी पर प्रेस ब्रीफिंग किया है लेकिन उन प्रेस ब्रीफिंग के दौरान टीवी पर सांकेतिक भाषा में बताने वाला दुभाषिया उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसकी वजह से दिव्यांग लोग महत्वपूर्ण सूचना नहीं पा सके। याचिका में कहा गया है कि अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना के समय की जाने वाली प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सांकेतिक भाषा में बताने वाले दुभाषिया मौजूद रहते थे।