कोपेनहेगन, 03 मई (हि.स.)। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी यूरोप यात्रा के दूसरे दिन डेनमार्क पहुंचे। डेनमार्क यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी डेनिश समकक्ष ने आपसी हितों सहित क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के विषयों पर चर्चा की। दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद तय हुआ कि भारत और डेनमार्क हरित ऊर्जा और शिक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे।
डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन पहुंंचने पर डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन उनका स्वागत करने हवाई अड्डे पहुंचीं। प्रधानमंत्री मोदी अपनी डेनमार्क की समकक्ष के आवास पर भी गए। बाद में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई वार्ता में ऊर्जा और शिक्षा क्षेत्र के कई समझौतों पर सहमति बनी। हरित ऊर्जा व शिक्षा क्षेत्र में साथ काम करने को लेकर समझौता भी हुआ। दोनों पक्षों ने हरित सामरिक साझेदारी में समीक्षा करके कौशल विकास, जलवायु, नवीकरणीय ऊर्जा, पी2पी संबंधों आदि क्षेत्रों में व्यापक सहयोग पर भी चर्चा की।
बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साथ में हमने रणनीतिक हरित सहभागिता की संयुक्त योजना पर चर्चा की। हमने हरित ऊर्जा, जल परिवहन व जल प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में प्रगति की है। पवन ऊर्जा, कंसल्टेंसी, खाद्य प्रसंस्करण जैसे कई क्षेत्रों में डेनमार्क की 200 से अधिक कंपनियां भारत में काम कर रही हैं। भारत में बढ़ते ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और व्यापक आर्थिक सुधारों का लाभ उठाने के लिए डेनमार्क की कंपनियों के पास भारत में निवेश के व्यापक अवसर हैं। भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देश लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और कानून के शासन जैसे मूल्यों को साझा करते हैं। हमने यूक्रेन पर तत्काल युद्धविराम और इस मसले का हल बातचीत के जरिए करने पर जोर दिया है।
साझा पत्रकार वार्ता में डेनमार्क की प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन ने कहा कि डेनमार्क और भारत हरित ऊर्जा साझेदारी को कुछ ठोस परिणामों में बदलने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। डेनमार्क ने भारत सरकार की हरित ऊर्जा क्षेत्र की उच्च महत्वाकांक्षाओं को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का फैसला किया है। डेनमार्क और भारत अपनी हरित सामरिक साझेदारी को कुछ ठोस परिणामों में बदलने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत सरकार का हरित बदलाव और भारत की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता बढ़ाने को लेकर महत्वाकांक्षाएं काफी ज़्यादा हैं।
यूक्रेन पर रूसी हमले की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बूचा में नागरिकों की हत्याओं की दोनों देशों ने निंदा की है। इस मामले में एक स्वतंत्र जांच की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। हमने कई मूल्यों को साझा किया। हम दो लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं और हम दोनों एक नियम से चलने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में विश्वास करते हैं। ऐसे समय में हमें अपने बीच के संबंधो को और भी मजबूत करने की जरूरत है। हमने यूक्रेन संकट पर भी चर्चा की। डेनमार्क और पूरे यूरोपीय संघ ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की कड़ी निंदा की। मेरा संदेश बहुत स्पष्ट है कि पुतिन ये युद्ध रोके और हत्याओं को समाप्त करे।